कोरोनिल बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की ‘कोरोना की दवाई’ की सच्चाई क्या है

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दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है उसी के दौरान जाची पारखी वैक्सीन या दवा का जो कोरोना वायरस से बचा जा सके.भारत समेत दुनिया के कई देशों में उस एक दवा और वैक्सीन बनाने के क्लीनिकल ट्रायल जारी हैंभारत की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी का ‘कोरोना को ठीक करने वाले इलाज’ का दावा भी किया है . जिसे भारत सरकार ने फ़िलहाल ‘ठंडे बस्ते’ में डाल दिया और अब दावे की ‘जाँच’ चल रही है.पतंजलि कंपनी पर इस ‘दवा के नाम पर फ़्रॉड’ करने के आरोप में एफ़आईआर भी दर्ज हो चुकी हैं.भारत में किसी दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए सबसे पहले ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीजीसीआई इजाज़त मिलनी अनिवार्य है .इसके बाद क्लीनिकल ट्रायल कराने वाली कंपनी को इंडियन काउंसिल ओफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर (ICMR) की देख-रेख में चलाई जाने वाली ‘क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री- इंडिया’ यानी सीटीआरआई (CTRI) नाम की वेबसाइट पर ट्रायल से जुड़ी पूरी प्रक्रिया, संसाधन, नाम-पाते और फ़ंडिंग तक का लेखा-जोखा देना होता है.बीबीसी हिन्दी के पास सीटीआरआई वेबसाइट पर रजिस्टर किए गए उस फ़ॉर्म की कॉपी है जिसमें पतंजलि रिसर्च इंस्टीच्यूट, हरिद्वार ने “कोरोना वायरस बीमारी के इलाज में आयुर्वेदिक दवाओं के असर” पर किए जाने वाले क्लीनिकल ट्रायल की हामी भरी है.इस दस्तावेज़ के मुताबिक़ पतंजलि रिसर्च इंस्टीच्यूट ने 20 मई, 2020 को सीटीआरआई (CTRI) वेबसाइट पर इसे रजिस्टर कराया था और इसमें लिखा है कि इस क्लीनिकल ट्रायल के लिए कोविड-19 के पहले मरीज़ का एनरोलमेंट 29 मई, 2020 को किया गया.क्लीनिकल ट्रायल की शुरुआत के सिर्फ़ 25 दिन बाद ही, 23 जून, 2020 को, योग गुरू बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि रिसर्च इंस्टीच्यूट ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में ‘कोरोनिल टैबलेट’ और ‘श्वासारि वटी’ नाम की दो दवाएं दुनिया के सामने पेश कीं.पतंजलि का दावा था कि “इन दवाओं से कोविड-19 का इलाज किया जा सकेगा”.पतंजलि ने ये भी दावा किया कि उन्होंने इसका क्लीनिकल ट्रायल किया है और कोरोना संक्रमित लोगों पर इसका सौ फ़ीसद सकारात्मक असर हुआ है.पतंजलि की इस घोषणा के कुछ घंटे बाद ही भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस पर संज्ञान लिया और कहा कि मंत्रालय को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

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