एक तरफ कोरोना महामारी ने देश की आर्थिक रूप से कमर तोड़ कर रख दी है वही दूसरी तरफ ऊना के टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में ट्रक यूनियन द्वारा भाड़़े के मनमाने तथा भारी भरकम दाम बसूलेे जाने से उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रतियोगिता के दौर में यहां मार्जन पहले ही बहुत कम है ऐसे में टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में ट्रक यूनियन द्वारा मनमाने रेेेेटों से भारी भरकम भाड़ा उद्योगों पर थोपना कहां का न्याय है। इस समस्या के चलते उद्यमियों को मुनाफा कमाना काफी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश में नए उद्योग नहीं आ पा रहे हैं जिससे प्रदेश की औद्योगिक नीति पर भी कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
जिला ऊना में इंडस्ट्री को ट्रक भाड़ा काफी ऊंचे दामों में चुकाना पड़ रहा है। जबकि उतनी ही किलोमीटर की दूरी के लिए किसी अन्य बाहरी ट्रांसपोर्टर से कम कीमत पर उद्योगों को यह सुविधा मिल सकती है, लेकिन ट्रक यूनियन द्वारा उद्योगों पर तूगलकी फरमान थोपा जा रहा है कि ट्रक की सुविधा स्थानीय यूनियन से ही ली जाए जिससे उद्योगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार जिला ऊना के टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में ट्रक यूनियन द्वारा मनमाने रेेेेटों से भारी भरकम भाड़ा उद्योगों सेे वसूला जा रहा है। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के सितारगंज तक किसी बाहरी ट्रांसपोर्टर द्वारा 1100 रुपए टन के हिसाब से भाड़ा वसूला जा रहा है जबकि ट्रक यूनियन टाहलीवाल द्वारा यह भाड़ा 1750 रुपए प्रति टन के हिसाब से वसूला जा रहा है और यह अंतर
650 रूपए के लगभग बैठता है।
जिसके चलते एक दिन में अगर सौ टन माल उद्योग से जाता है तो उद्यमी को लगभग 65 हजाार रुपए का रोजाना नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे ही हरिद्वार के लिए भी भाड़े में काफी अंतर देखा जा रहा है। ट्रक यूनियन द्वारा 1350 रुपए प्रति टन भाड़ा लिया जा रहा है जबकि बाहरी ट्रांसपोर्ट द्वारा इसका भाड़ा 900 रुपए प्रति टन लिया जाता है । इससे साफ पता चलता है कि क्षेत्र के उद्योग को ट्रक यूनियन बालों की दादागिरी के साथ – साथ उसकी मनमानी का भी सामना करना पड़ रहा है। देश के अन्य स्थानों के लिए भी ट्रक यूनियन के भाड़े 60 से 70 फीसदी अधिक है इससे इंडस्ट्री कैसे सर्बाईव कर पाएगी यह हिमाचल सरकार के लिए सोचनीय पहलू है।
क्या कहते हैं ट्रक यूनियन सचिव ,,,,,
ट्रक यूनियन टाहलीवाल (ऊना) के सचिव कुलदीप से जब रेट के संदर्भ में बात की गई तो उन्होंने सितारगंज (उत्तराखंड) का रेट 1750 रुपए प्रति टन बताया। और यह भी बताया कि हमारे रेट फिक्स होते हैं
क्या कहते हैं महाप्रबंधक उद्योग विभाग ,,,,
महाप्रबंधक उद्योग विभाग आंशुल धीमान का कहना है कि इंडस्ट्री और ट्रक यूनियन एक दूसरे की पूरक है और अगर इंडस्ट्री नही रहेगी तो ट्रक यूनियन भी नही रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई विवाद होता है और उद्योग की शिकायत आती है तो वह उसको सरकार तक जरूर पहुचाएंगे।