पर्वत की गोद अटल ,ब्यास नदी में वाजपेयी की अस्थियां विसर्जित

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कुल्लू आवाज़ जनादेश -: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आज कुल्लू जिले में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान मनाली में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई। वाजपेयी की अस्थियों का  कलश भी यहां पर रखा गया था, जहां समाज के विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों ने अपने प्यारे नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर एक सर्व धर्म प्रार्थना सभा भी आयोजित की गई। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा, परिवहन और वन मंत्री गोविंद ठाकुर, सांसद राम स्वरुप शर्मा, विधायक कर्नल इंदर सिंह, विनोद कुमार, इन्द्र सिंह गांधी, सुरिन्द्र शौरी, पूर्व सांसद महेश्वर सिंह और पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर, भाजपा संगठन सचिव पवन राणा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडू, उपायुक्त कुल्लू यूनुस, पुलिस अधीक्षक कुल्लू शालिनी अग्निहोत्री, विभिन्न सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के सदस्य और अन्य क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों ने भी अपने प्यारे नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
                 
मुख्यमंत्री ने बाद में मनाली के निकट वशिष्ट स्थित ब्यास नदी में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की अस्थियां विसर्जित की।
 वाजपेयी को एक बहुमुखी व्यक्तित्व बताते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि राजनेता होने के अतिरिक्त, वह एक उत्कृष्ट वक्ता, एक भावुक कवि और एक प्रतिबद्ध पत्रकार थे। उन्होंने कहा कि हालांकि वह पिछले बारह वर्षों से सक्रिय सामाजिक जीवन से दूर थे, लेकिन फिर भी लाखों लोगों ने  वाजपेयी जी की अन्तिम यात्रा में भाग लिया, जो उनकी लोकप्रियता और जनता में उनकी लोकप्रियता को दर्शाता हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा हिमाचल प्रदेश एवं यहां के लोगों पर विशेष उदारता बनाई रखी। अटल जी हमेशा हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते थे और कुल्लू जिले की प्रीणी में उनका घर है। जब भी उनको अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय मिलता तो वह राज्य की यात्रा करना पसंद करते थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल के प्रति उनकी उदारता का अनुमान इस बात से लगा जा सकता है जब भाजपेयी वर्ष 1998 में प्रधानमंत्री थे तो चारों ओर से घिरी दूरदराज की लाहौल घाटी को दुनिया भर के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ने के लिए रोहतांग सुरंग बनाने का विचार किया था। जिसकी  3 जून, 2000 को उन्होंने  घोषणा की गई थी जो आज पूरी होने के करीब है और राज्य के लिए श्री वाजपेयी का इससे बड़ा और के उपहार हो सकता था । वर्ष 2002 में प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी ने पर्वतारोहण संस्थान मनाली के सभागार अपनी कविताओं को पढ़ा था।  वाजपेयी ह्दय से एक कवि थे और उनका पहाड़ों के प्रति विशेष प्यार था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से बड़े संदेश दिए। कार्यकर्म के दौरान उनके द्वारा लिखी गई कविताओं की कुछ पंक्तियों को भी याद किया। उन्होंने अतीत की यादों में जाते हुए प्रीणी निवास में श्री वाजपेयी के साथ अपनी आखिरी बैठक को भी याद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों को सुनने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों से आते थे तथा उनके भाषण जोशिले व असाधारण होते थे। उन्होंने कहा कि जब भी वाजपेयी सार्वजनिक बैठकों को संबोधित करते थे, तब उनके विरोधी भी उनके भाषणों को बड़ी उत्सुकता से सुनते थे।
 उन्होंने लोगों से अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यादों और संस्मरणों को साझा करने का आग्रह किया तथा इनको सदाबहार रखा जा सके। उन्होंने संस्थान के परिसर में  वाजपेयी की स्मृति में एक देवदार का पौधा लगाकर पौधे को राखी भी बांधी।
 वन और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने  वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वाजपेयी को हिमाचल प्रदेश के लोगों के प्रति प्रेम था, जबकि कुल्लू-मनाली से उनका विशेष प्यार था।
सांसद राम स्वरुप शर्मा ने  वाजपेयी को हृदय से एक कवि के साथ विश्व नेता के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि पोखरण परमाणु परीक्षण के साथ भारत को परमाणु ऊर्जा सम्पन्न देश बनाने के लिए आगे बढ़ना  वाजपेयी जी के साहस का ही परिणाम था।
पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने इस अवसर पर वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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