हिमाचल के 45 फीसदी इंजीनियर्स को नौकरी नहीं
सरकारी कालेजों की गुणात्मक शिक्षा पर उठने लगे सवाल, प्लेसमेंट के दावों की खुली पोल
देश में इस वर्ष पास आउट इंजीनियरिंग के 58 प्रतिशत छात्रों को नौकरी नहीं मिली है। इस रेशो में हिमाचल प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजों की स्थिति भी बढि़या नहीं आंकी गई है। महज 55 प्रतिशत छात्रों को ही जॉब नसीब हुई है, जबकि 45 प्रतिशत छात्रों को नौकरी नहीं मिली है। भले ही यह आंकड़ा देश के ओवर आल रेशो से 13 फीसदी अच्छा आंका गया है, लेकिन जिस रफ्तार से सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में प्लेसमेंट का ग्राफ गिरा है। वह भविष्य के लिए सरकारी तंत्र की कार्य प्रणाली और गुणात्मक शिक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर गया है। क्योंकि हिमाचल के निजी क्षेत्र में चल रहे इंजीनियरिंग कालेज में प्लेसमेंट की रेशो बढि़या आंकी गई है। प्रदेश के पहले जवाहर लाल नेहरू राजकीय इंजीनियरिंग कालेज सुंदरनगर में वर्ष 2016-17 में 82 प्रतिशत छात्रों ने परीक्षा उत्तीर्ण की। जिसमें से महज 47 फीसदी युवाओं को ही रोजगार मिला है और 53 प्रतिशत छात्रों को जॉब नहीं मिली है। अटल बिहारी वाजपेयी राजकीय इंजीनियरिंग कालेज प्रगतिनगर में 76 फीसदी युवा वर्ष 2016-17 में पास आउट हुए, जिनमें से 80 फीसदी छात्रों की ही प्लेसमेंट हुई है और 20 फीसदी इंजीनियरिंग पास आउट युवा बेरोजगार है, जबकि 2017-18 के आंकड़े जुटाने में तकनीकी शिक्षा विभाग इन दिनों जुटा हुआ है। वहीं निजी क्षेत्र में चल रहे प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेज की यह रेशो सरकारी कालेजों के मुकाबले बेहतर आंकी गई है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 के दौरान 28.39 प्रतिशत और 2013-14 के दौरान 31.95 प्रतिशत बच्चों को नौकरी मिली थी। इसकी एक वजह इंजीनियरिंग कालेजों का बंद होना और निचले पदों पर नामांकन होना है।