■मेरा गांव मँझोटली ■

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【∆कमल शर्मा की कलम से∆】
★★जिला शिमला का चौपाल उपमंडल के अंतर्गत बसा है ये गांव
पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर राम लाल इसी गांव में रहते थे और पेशे से तब चौपाल में वकालत करते थे। पूर्वज बताते थे ठाकुर राम लाल वालीवाल के अच्छे खिलाड़ी थे मँझोटली में ठाकुर राम लाल की जमीन एक खेत अब भी है जिसमें ब्राह्मण और राजपूत फसल उगाते है।
चौपाल मुख्यालय की बगल में बसा आदर्श ग्राम मँझोटली इस को टीचर विलेज के नाम से भी जाना जाता है इस गांव के बीचों बीच से स्टेट हाई वे गुजरता है सड़क पक्की है जो कि इस गांव की भाग्य रेखा है।इस गांव के आराध्य देवता शिरगुल महाराज है जिन को चुड़ेश्वर महाराज के नाम से जाना जाता है। पेशे से यहाँ के 99.9फीसदी लोग सरकारी मुलाजिम है और गांव के 85%लोग अध्यापक है। बागवानी ग्राम वासियो का मुख्य पेशा है । यहाँ इस गांव में ब्राह्मण और राजपूतो की संख्या बराबर बराबर है। जिन का आपसी भाई चारा और ताल मेल की मिसाल कायम है। अच्छी आय होने के साथ यहाँ के रिहायशी भवन सब के पास बहुत सुन्दर है मजे की बात ये है गांव में अपने रिहायशी मकान में किसी ने भी अपने साथ कोई किराये दार नही रखा है जिस से गांव की अपनी संस्कृति आज भी कायम है हालांकि मंझोटली गांव के साथ चौपाल नगर पंचायत की सीमा लगती है बाजार गांव से1/2 आधा किमी दूरी पर है। गांव में स्वछता का पूरा ख्याल लोग अपने स्तर पर रखे हुए है यहाँ कही भी शौच भी बाहर खुले में नही की जाती है गांव की घनी आबादी होने के साथ 100% शौच मुक्त गाँव का खताब सात वर्ष पहले हासिल किए हुए है।गांव में अब पैट्रोल पंप की सुविधा भी है और गांव के सभी घरों में एक से अधिक निजी वाहन सभी के पास उपलब्ध है। गांव में ज्योतिष और देव पूजा से जुड़े उच्च विद्वान ब्राह्मण है । इस गांव के क्षत्री यजमान ब्राह्मणों का इस गांव में बहुत आदर सत्कार करते है । परम्परा के अनुसार आपसी भाई चार की खुली किताब इन दोनों जाती के लोगो मे खूब देखने को मिलती है। इस गांव में नाम मात्र बहुत कम संख्या में दलित समुदाय के लोग भी है दलील समुदाय को गांव के ब्राह्मण और राजपूत बहुत आदर प्रदान करते है विशेष समारोह के मौको पर तीनों समुदाय के लोग समारोह में शामिल हो कर आपसी भाई चारे का प्रदर्शन सैंकड़ो सालो से देते आ रहे है। दुख के समय पर ब्राह्मण और राजपूत दलित समुदाय के लोगो के शव को जलाने के लिए लकड़ी इक्कठा करते है कृमिनेशन करवाते है इसी प्रकार राजपूतो और ब्राह्मण के लिए दलित समुदाय इसी तरह से मदद करता है जो कि जो कि गांव में सैकड़ों सालों से तीनो समुदाय का आपसी बंधन है इसी सत्य पर आपसी भाई चारा टिक्का हुआ है। गांव के लोगो मे आपस दारी के मामले में किसी भी प्रकार की कोई भी खींच तान नही है । गांव के लोगो के आपसी कोई भी वाद विवाद कोतवाली और कचहरी में नही है। सभी लोग गांव में आपसी प्रेम प्यार से रहते है वैसे जितना में जान पाया हूं बहुत कम है इस गांव में रहने से गौरव महसूस होता है खुद को भाग्य शाली महसूस करते हुए जहाँ स्टेट टाइम में सभी राजाओ की चौपाल होती थी उसी चौपाल नाम से बगल में बसा मंझटली गांव प्रकृतिक रूप से सुंदर है। यहाँ के युवा पीढी काफी प्रोग्रेसिव है■

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