विश्व की सबसे ऊँची चोटियों की सैर

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संसार में हर दिन कुछ नया, जुनूनी, पागलपन से भरा या फिर ट्रैकिंग आदि की चाह रखने वालों के लिए विश्व की सबसे ऊँची चोटियों की सैर करना अपने आपमें एक खूबसूरत एहसास है। अक्सर हम आप सोचते रह जाते हैं की क्या इतनी ऊँची चोटियों पर पहुंचना संभव है। बेशक ये काम जूनून से भरा शख्स ही कर सकता है। ऐसे ही मैं आपको विश्व की सबसे ऊँची चोटियों के बारे में बताऊंगी, जहाँ पहुंचना जुनूनी और हर दिन कुछ ख़ास करने वालों के लिए बेहद लोकप्रिय है।

1- एवरेस्ट पर्वत

XV

1- एवरेस्ट पर्वत एवरेस्ट पर्वत दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है। जिसकी ऊंचाई 8,848 मीटर है। पहले इसे  XV के नाम से जाना जाता था। उस समय माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29,002 फीट या 8,40 मीटर मापी गई थी। वैज्ञानिक सर्वेक्षण में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 सेंटीमीटर के हिसाब से बढ़ रही है। नेपाल में इसे स्थानीय लोग सागरमाथा (इसका अर्थ है- स्वर्ग का शीर्ष) के नाम से जानते हैं। तो वहीँ तिब्बत में इसे ‘चोमोलंगमा’ (इसका मतलब है- पर्वतों की रानी) कहते हैं।

2- K2

2- K2

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान और चीन के झिंजियांग की सीमा पर काराकोरम पर्वत श्रंखला में स्थित यह चोटी है। 8611 मीटर (28,251फीट) की ऊंचाई वाली ये चोटी माउंट एवरेस्ट के बाद विश्व की दूसरी उच्चतम पर्वत चोटी है। के2 को माउंट एवरेस्ट की तुलना में सबसे अधिक कठिन और खतरनाक माना जाता है। के2 पर अब तक की 246 लोगों ने चढ़ाई की है जबकि माउंट एवरेस्ट पर 2238 लोगों ने चढ़ाई कर चुके हैं।

3- कंचनजंघा

3- कंचनजंघा

सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल की सीमा पर स्थित कंचनजंघा विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है। इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है। यह दार्जिलिंग से 74 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित है। कंचनजंघा नाम की उत्तपत्ति तिब्बती मूल के चार शब्दों से हुई है, जिन्हें आमतौर पर कांग-छेन-दजों-ङ्गा लिखा जाता है। सिक्किम में इसका अर्थ विशाल हिम की पांच निधियां माना जाता है। नेपाल में यह पर्वत कुंभकरन लंगूर कहलाता है।
4- ल्होत्से
4- ल्होत्से

8516 मीटर 27940 फीट एवरेस्ट के2 और कंचनजंघा के बाद विश्व की चौथी सबसे ऊँची चोटी है जो एवरेस्ट से दक्षिण घाटी से जुडी हुई है। इस शिखर के अगल-बगल दो और शिखर हैं।

5- मकालू

5- मकालू

8481 मीटर, 27,825 फुट मकालू एवरेस्ट विश्व की पांचवीं सबसे ऊँची शिखर है। यह एवरेस्ट से 19 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में स्थित है। यह अलग-अलग चोटियां हैं जो चार मुखी पिरामिड के समान दिखती हैं।

6- चो ओयू (चोयू)

6- चो ओयू (चोयू)

समुद्र के स्तर से ऊपर 8,201 मीटर (26,906फीट) विश्व का छठा सबसे ऊँचा पर्वत है। तिब्बती में चो ओयू का मतलब ‘मरकत देवी’ है। यह पर्वत तिब्बत-नेपाल सीमा पर माउंट एवरेस्ट की महालांगुर हिमालय से 20 किलोमीटर की खुंबू उप-धारा के पश्चिम में स्थित है।

7- धौलागिरी

7- धौलागिरी

उत्तर-पश्चिमी नेपाल में काली नदी के उद्गम के समीप स्थित इस चोटी की ऊँचाई 26,826 फुट है। इस भाग में अनेक हिमानियाँ हैं। यह हिमालय की चार प्रमुख चोटियों में से एक है और किसी समय इसे ही संसार की सर्वोच्च चोटी समझा जाता था। नेपाली में धौलागिरी पर्वत का मतलब (सफ़ेद,सुन्दर,पहाड़) से है। यह विश्व की सातवीं सबसे ऊँची छोटी है।

8- मनास्लु

8- मनास्लु समुद्रतल से 8,163 मीटर (26,781 फीट) पर दुनिया का आठवां सबसे ऊँचा पर्वत है। यह नेपाल के पश्चिम मध्य भाग में नेपाली हिमालय में स्थित है। मनास्लु संस्कृत शब्द मनासा से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘बुद्धि या आत्मा’ मनास्लु का अर्थ है ‘पर्वत की आत्मा’ ।

9- नंगा पर्वत

9- नंगा पर्वत

इस की ऊँचाई 8, 125 मीटर या 26, 658 फ़ुट है। इसे दुनिया का “क़ातिल पहाड़” भी कहा जाता है क्योंकि इसपर चढ़ने वाले बहुत से लोगों की जाने जा चुकी हैं। नंगा पर्वत पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित गिलगित-बल्तिस्तान के क्षेत्र में आता है, जिसे भारत अपना हिस्सा भी मानता है। ये विश्व का नवां सबसे ऊँचा पर्वत है। नंगा पर्वत हिमालय पर्वत श्रंखला के सुदूर पश्चिमी भाग में स्थित है।

10- अन्नपूर्णा

10- अन्नपूर्णा

उत्तर मध्य नेपाल में स्थित अन्नपूर्णा पर्वत विश्व का दसवां सबसे बड़ा पर्वत है। इस पर चढ़ाई करना दुनिया की सबसे खतरनाक चोटियों पर चढ़ाई करने के बराबर है। यह 26,545 फीट (8091मीटर) है।

 

 

11 चुडधार

हिमाचल प्रदेश शिमला एवं सिरमौर  में चंचल पर्वतारोही, शिवालिक पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है, जो कि 11965 फीट की ऊंचाई पर है। चुडधार, आमतौर पर यह पर्वत (बर्फ की चूड़ी) के रूप में जाना जाता है, इस क्षेत्र में कुछ सबसे शानदार और सुंदर परिदृश्य के साथ ही धन्य है|  शिखर सम्मेलन के दृश्य में गढ़वाल क्षेत्र में बद्रीनाथ और केदारनाथ के चोटियों सहित उत्तर और दक्षिण की ओर झील के क्षेत्र का एक विशाल पैनोरामा शामिल है।जड़ी-बूटियों और सुंदर अल्पाइन वनस्पतियों का एक धन इन हिमालय ढलानों को कवर करता है। वन्यजीव अभ्यारण्य के माध्यम से चलना, एक हिमाचल के राज्य पक्षी शानदार कोलाल और कालेजी फेशंट के साथ-साथ मोनल का दाग लगाता है। कुत्ते-दांतेदार कस्तूरी हिरण और लुप्तप्राय हिमालयी काले भालू उच्च जंगलों में रहते हैं।शिखर के नीचे, शिव (चैरोचेस्वर महादेव) को समर्पित एक लिंगम के साथ देविर-छत, एक मंजिला, शिरगुल का चौकोर मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर में नवरात्रों मेले के दौरान तीर्थयात्री रात में गाते हैं और नृत्य करते हैं।चिरदर्ष शिखर पर चलने वाले ट्रेकर्स छोटे ग्लेशियरों से गुजरते हैं, जो मध्यम से भारी बर्फबारी (33 फीट बर्फ की औसत) में है। अक्सर श्रीगिल मंदिर इसके नीचे दफन हो जाता है।बारिश के बाद क्षितिज पर उभरते इंद्रधनुष का एक दृश्य, एक यादगार दृष्टि है। क्लाउड कवर से बाहर निकलने वाली बहु रंगीन किरणें, आकाश को विशाल झूमर की तरह लगाना |

सड़क के द्वारा

चौपाल में बसों और टैक्सियां उपलब्ध हैं, सरियन तक पहुंचने के लिए, चुडधार ट्रेक के शुरुआती बिंदु। यदि आप दिल्ली से आ रहे हैं, तो अंबाला पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 1 (एनएच 1) पर उतरो और वहां से एनएच 22 को शिमला तक पहुंचने में मदद करें। एनएच 22 का पालन करें जो शिमला तहुंज संजौली और धली से थिओग तक किन्नौर जाता है। थिंगिंग में, राज्य की सड़क को मारा, जो आपको साईंज, देहा और खिरकी के माध्यम से चोपड़ा की ओर ले जाता है। और, चोपल से, आपको उस तरीके का पालन करना होगा जो नेरवा की ओर जा रहा है, और उसके बाद साईंन के लिंक रोड का अनुसरण करें, लगभग 7 किमी।

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