विमल नेगी मौत मामला: ‘सीबीआई जांच वापस लेने को बेताब’ सुक्खू सरकार, जयराम ठाकुर ने लगाए गंभीर आरोप पूर्व सीएम बोले- यह बेताबी बता रही है कि बहुत बड़ी धांधली से जुड़े हैं मौत के तार -जयराम

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शिमला। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एचपीपीसीएल के इंजीनियर विमल नेगी की मौत की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से वापस लेने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने गुरुवार को शिमला से जारी एक बयान में आरोप लगाया कि विमल नेगी की मौत से सुक्खू सरकार के तार बहुत गहरे और नजदीकी से जुड़े हैं, इसीलिए सरकार जांच को बाधित करने के लिए हर हथकंडा अपना रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि यह देश के इतिहास का पहला मामला है जब एक चीफ इंजीनियर की मौत की जांच में सरकार सहयोग करने की बजाय जांच को वापस लेने के लिए ‘सिर के बल खड़ी’ है। उन्होंने मुख्यमंत्री सुक्खू पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सीबीआई से केस वापस लेने के लिए बेकरार होने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं।
‘पूरी दाल ही काली नजर आ रही है’
नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि विमल नेगी की मौत के मामले में किस-किस की गर्दन फंस रही है जो पूरी सरकार छटपटा रही है। उन्होंने कहा कि पहले जहां दाल में काला लग रहा था, अब वहीं पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उनके संरक्षण प्राप्त अधिकारी कानून की धज्जियां उड़ाकर काम कर रहे हैं, जिससे मुख्यमंत्री पर भी शक की सुई घूम गई है।
ठाकुर ने कहा, “सरकार जिस तरीके से विमल नेगी की मौत के मामले में बेसब्र है और बार-बार झूठ बोल रही है, उससे यह साफ है कि विमल नेगी की मौत या हत्या में सरकार पूरी तरह शामिल है। सरकार के प्रयासों से साफ है कि यह मामला बहुत बड़ी धांधली से जुड़ा है।” उन्होंने चेताया कि सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
पेन ड्राइव फॉर्मेट होने पर उठाए सवाल
जयराम ठाकुर ने सीबीआई जांच को प्रभावित करने के प्रयासों को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों पर भी निशाना साधा। उन्होंने याद दिलाया कि सीबीआई जांच से पहले, पुलिस द्वारा विमल नेगी के पास से मिली सबसे अहम सबूत पेन ड्राइव को थाने के अंदर फॉर्मेट किया गया और फिर उसे फॉरेंसिक को सौंपा गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस का एक कर्मचारी जेल में है, जो साबित करता है कि सबूत मिटाने की कोशिश हुई थी।
उन्होंने पुलिस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब पुलिस खुद मानती है कि पेन ड्राइव फॉरमैट की गई थी, तो वह सीबीआई जांच पर कैसे सवाल उठा सकती है? उन्होंने आरोप लगाया कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के चहेते अधिकारी सीबीआई पर उंगली उठाकर न सिर्फ प्रदेश पुलिस की साख दाव पर लगा रहे हैं बल्कि माननीय उच्च न्यायालय पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं, क्योंकि यह जांच उच्च न्यायालय की देखरेख में चल रही है।
न्यायालय के आदेश के बाद भी बाधा
जयराम ठाकुर ने घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए बताया कि नेगी के गायब होने के दिन से ही उनके परिजन पेखु बेला प्रोजेक्ट से तार जुड़े होने का आरोप लगा रहे थे। परिजनों को सीबीआई जांच के लिए कैंडल मार्च निकालना पड़ा और न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के इशारे पर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाकर जितने भी अड़ंगे डाले जा सकते थे, सरकार ने डलवाए। जब न्यायालय ने सरकार और शिमला पुलिस का रवैया देखा, तो न्याय के लिए सीबीआई जांच के आदेश दिए और यह निर्देश भी दिया कि हिमाचल से जुड़ा कोई भी अधिकारी इस जांच में शामिल नहीं होगा।
ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मीडिया के सामने जांच में सहयोग देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब वह जांच वापस लेने के लिए बेताब हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि विमल नेगी की मौत में साजिशों के तार बहुत गहरे हैं जो बहुत ऊंची कुर्सियों से जुड़े हैं। उन्होंने ‘व्यवस्था परिवर्तन’ के नाम पर हो रहे ‘व्यवस्था पतन’ के इस दौर को बंद करने की मांग की।
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