शिमला, 27 सितम्बर 2025: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) के मनोविज्ञान विभाग ने 27 सितंबर 2025 को “मनोविज्ञान के माध्यम से करियर परामर्श: प्रतिभाओं को अवसरों से जोड़ना” विषय पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सफल कार्यशाला का आयोजन किया। इस 5 घंटे के शैक्षिक कार्यक्रम में एम.ए. मनोविज्ञान के 45 स्नातकोत्तर छात्रों और 15 शोधार्थियों सहित कुल 60 प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की, जिसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक मनोवैज्ञानिक उपकरणों को आधुनिक करियर मार्गदर्शन के साथ एकीकृत करना था।
कार्यशाला का शुभारंभ सुबह 10:00 बजे विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में हुआ और समापन अपराह्न 3:00 बजे हुआ।
उद्घाटन सत्र और मुख्य वक्ता का संबोधन
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता शर्मा और विश्वविद्यालय छात्र संघ (सीएससीए) की नवनिर्वाचित अध्यक्ष अंचल धरमैख ने की। उन्होंने मुख्य वक्ता डॉ. बी. एस. चौहान, जो सिस्टर निवेदिता नर्सिंग कॉलेज, आईजीएमसी शिमला में विजिटिंग प्रोफेसर हैं, और डॉ. विशाल राणा सहित विशेषज्ञ टीम का गर्मजोशी से स्वागत किया।
इस अवसर पर संकाय सदस्यों में विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता शर्मा और डॉ. आकांक्षा सूद उपस्थित रहीं। शोधार्थियों में सुश्री सुषमा आज़ाद, श्री सुनील कुमार और सुश्री वंदना ने भी सहभागिता की।
मुख्य भाषण देते हुए डॉ. बी. एस. चौहान ने, जो अब तक देश के विभिन्न राज्यों में 250 से अधिक आमंत्रित व्याख्यान दे चुके हैं, 65 स्लाइडों वाली एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रस्तुति दी। उनके व्याख्यान में 30 वास्तविक केस स्टडी, 12 अंतरराष्ट्रीय संदर्भ, और विभिन्न करियर मार्गों की गहन जानकारी शामिल थी। डॉ. चौहान ने ज़ोर देकर कहा कि चार महत्वपूर्ण क्वॉशेंट्स—आईक्यू, ईक्यू, सीक्यू और एक्यू—का संयोजन जीवन की सफलता का लगभग 80% निर्धारण करता है, जबकि अकादमिक अंक केवल 20% योगदान देते हैं।
डीएमआईटी, बॉडी एनालाइज़र और वैज्ञानिक प्रदर्शन
कार्यशाला का सबसे आकर्षक केंद्र डर्माटोग्लिफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (DMIT) और बॉडी एनालाइज़र परीक्षण रहे, जिन्होंने मनोविज्ञान के शास्त्रीय सिद्धांतों को आधुनिक वैज्ञानिक अनुप्रयोगों से जोड़ा।
1. डर्माटोग्लिफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (DMIT)
यह तकनीक, जिसे 40 से अधिक देशों में मान्यता प्राप्त है और विश्व स्तर पर 3 करोड़ से अधिक मामलों में लागू किया गया है, विश्वविद्यालय के 27 विद्यार्थियों पर किया गया। डीएमआईटी परीक्षण के माध्यम से प्रतिभागियों की 8 प्रकार की बुद्धिमत्ता, 4 अधिगम शैलियाँ, और 3 व्यक्तित्व अभिविन्यास सामने आए।
डीएमआईटी प्रतिभागियों में शामिल थे: अंचल झिंगटा, नेहा शोहल, मुस्कान सिंह, भावना ठाकुर, महक शर्मा, यशस्वी शर्मा, अनुष्का कलंटा, प्रियांका पाल, तान्या गुलेरिया, वंशिका पठानिया, सुनील कुमार, मुस्कान, एंजल दिव्यांशी, तनुजा शर्मा, मनस्वी शर्मा, संदली ठाकुर, करण शर्मा, साक्षी घेगता, सुषमा, अभय कुमार, अक्षिता धीमान, अंकीता भाटिया, रितिका चौधरी, अभय सिंह, चेतना पठानिया, सान्या झिंगटा एवं कनन।
2. बॉडी एनालाइज़र परीक्षण
समान रूप से आकर्षक रहा बॉडी एनालाइज़र परीक्षण, जिसमें 17 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस उपकरण ने जैविक आयु बनाम कालक्रम आयु का आकलन किया, साथ ही बीएमआई, जल स्तर, मांसपेशी द्रव्यमान प्रतिशत, और आंतरिक वसा स्कोर जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों को मापा।
बॉडी एनालाइज़र प्रतिभागियों में शामिल थे: चेतना पठानिया, अभय सिंह, एंजल दिव्यांशी, वंशिका पठानिया, प्रियांका पाल, सुषमा आज़ाद, अभय कुमार, तान्या गुलेरिया, मनस्वी शर्मा, यशस्वी शर्मा, अंकीता भाटिया, सान्या झिंगटा, कनन शर्मा, साक्षी, प्रिया कौशल, रितिका चौधरी एवं अक्षिता धीमान।
सान्या झिंगटा एवं अनुष्का कलंटा ने बॉडी एनालाइज़र सत्र का सफल समन्वयन किया, जिससे यह परीक्षण सटीक और सहभागी बन सका।
एक उल्लेखनीय उदाहरण में, 23 वर्षीय एक छात्रा की जैविक आयु 19 वर्ष पाई गई, जिससे उसे 4 वर्ष का जीवन-ऊर्जा लाभ मिला। समग्र परिणामों में 70% विद्यार्थी स्वस्थ श्रेणी में पाए गए, जबकि 30% को जीवनशैली सुधार की आवश्यकता बताई गई।
छात्र नेतृत्व, निष्कर्ष और भविष्य की घोषणा
छात्र नेतृत्व सराहनीय रहा। गौरी छाबड़ा एवं अंचल धरमैख (नवनिर्वाचित सीएससीए अध्यक्ष) ने कार्यशाला संयोजक के रूप में उत्कृष्ट भूमिका निभाई।
समापन सत्र में 30 मिनट का खुला प्रश्नोत्तर आयोजित हुआ, जिसमें 20 से अधिक प्रश्नों का समाधान किया गया। विद्यार्थियों ने ऐसे ज्ञान-आधारित कार्यक्रमों को प्रत्येक 6 माह में आयोजित करने का सुझाव दिया।
मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार रहे:
* मनोविज्ञान का 5 उभरते क्षेत्रों—काउंसलिंग, एचआर, फॉरेंसिक साइंस, एआई साइकोलॉजी एवं हेल्थ मैनेजमेंट—से सीधा संबंध।
* मनोविज्ञान का 20 से अधिक करियर क्षेत्रों में उपयोग।
* भारत के 2047 विज़न के लिए बहु-कौशल प्रशिक्षण की अनिवार्यता।
अपने समापन उद्बोधन में, विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता शर्मा ने डॉ. बी. एस. चौहान के योगदान की सराहना की और विभाग की आगामी योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने बताया कि विभाग शैक्षणिक वर्ष 2025–26 में करियर मनोविज्ञान पर 2 अतिरिक्त कार्यशालाएँ तथा 1 अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करेगा।
यह कार्यशाला मनोविज्ञान के ज्ञान और आधुनिक उपकरणों का एक अद्वितीय संगम रही, जिसने 21वीं सदी की ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में करियर मार्गदर्शन हेतु एक ठोस आधार तैयार किया।