आवाज़ जनादेश चंडीगढ़,
श्री सुखमणि ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स, डेराबस्सी में एक महत्वपूर्ण अपस्किलिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य डर्माटोग्लाइफिक्स मल्टीपल इंटेलिजेंस टेस्ट (DMIT) के माध्यम से छात्रों और संकाय सदस्यों की जन्मजात प्रतिभाओं को पहचानना था। यह आयोजन संस्थान के मुख्य प्रशासक, प्रो. रश्मपाल सिंह और प्राचार्य, डॉ. प्रदीप शर्मा के दूरदर्शी नेतृत्व में किया गया, जिन्होंने कौशल विकास और भविष्य के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
विशेषज्ञ मार्गदर्शन
कार्यशाला का संचालन प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर और नैनोटेक्नोलॉजी वैज्ञानिक, डॉ. बी. एस. चौहान ने किया। डॉ. चौहान, जो इंटरनेशनल डॉ. बी. एन. बिस्वास पुरस्कार विजेता भी हैं, ने DMIT की वैज्ञानिक तकनीक को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि यह फिंगरप्रिंट और ब्रेन साइंस पर आधारित एक ऐसा टूल है, जो किसी व्यक्ति की प्राकृतिक क्षमताओं, सीखने की शैली और रुचियों को पहचानने में मदद करता है। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि DMIT का उपयोग 3 वर्ष से लेकर 70+ वर्ष तक के सभी आयु समूहों के लिए शिक्षा, करियर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में किया जा सकता है।
DMIT क्यों है आज की जरूरत
कार्यशाला में DMIT के महत्व पर प्रकाश डाला गया, जिसमें कुछ चौंकाने वाले आँकड़े साझा किए गए। विश्व स्तर पर 82% छात्र ऐसे करियर चुनते हैं जो उनकी प्राकृतिक क्षमताओं से मेल नहीं खाते। इसके अलावा, 90% लोग अपनी प्रमुख बुद्धिमत्ता और सीखने की शैली से अनजान रहते हैं। DMIT इस समस्या को हल करने में मदद करता है। यह 5 अलग-अलग वैज्ञानिक विषयों के 48 अध्ययनों पर आधारित है, और भारत में 20 लाख से अधिक लोग इसका लाभ उठा चुके हैं।
DMIT के मुख्य लाभों में शामिल हैं:
* शैक्षणिक दबाव में 35% तक की कमी
* आत्म-विश्वास में 50% से अधिक की वृद्धि
* करियर चयन में स्पष्टता
वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य में DMIT का प्रभाव
कार्यशाला में बताया गया कि DMIT को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है। सिंगापुर, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और भारत जैसे देश इसका उपयोग शिक्षा, कॉर्पोरेट एचआर और करियर मार्गदर्शन के लिए कर रहे हैं।
भारत के लिए DMIT विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ 315 मिलियन से अधिक छात्र हैं और टैलेंट-मिसमैच एक बड़ी समस्या है। DMIT नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो समग्र और वैयक्तिकृत शिक्षा पर जोर देती है। यह उच्च शिक्षा में ड्रॉपआउट रेट को कम करने और शिक्षकों को छात्रों की क्षमताओं के अनुसार पढ़ाने में भी मदद करता है।
कार्यशाला में प्रमुख प्रतिभागी
इस कार्यशाला में कई छात्रों और संकाय सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। छात्रों में प्रिषा शर्मा, संजना रानी, काशी गुप्ता, संजीत कुमार पंडित, अनुराग पांडे और एन डी हरमेश शामिल थे। संकाय सदस्यों में प्रो. प्रदीप शर्मा, प्रो. ऋतिका चौहान, प्रो. रंजू मारवाह, प्रो. तनु राणा, प्रो. पवन कुमार सेखरी, प्रो. निधि शर्मा, प्रो. गुरदीप सिंह, प्रो. हरदेव सिंह, प्रो. डिंपल सेन, प्रो. सतविंदर सिंह और प्रो. अमनदीप कौर ने DMIT के लाभों को समझा।
भविष्य की योजनाएं
कार्यशाला के समापन पर, प्रो. रश्मपाल सिंह और डॉ. प्रदीप शर्मा ने इस पहल की सराहना की और इसे आज के शैक्षिक माहौल में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने डॉ. चौहान से आग्रह किया कि वे संस्थान के अन्य छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए भी ऐसे सत्र आयोजित करें, ताकि अधिक से अधिक लोग इस वैज्ञानिक तकनीक से लाभान्वित हो सकें।
डीएमआईटी पर अपस्किलिंग कार्यशाला: श्री सुखमणि ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट्स ने छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रतिभा पहचान का मार्ग प्रशस्त किया
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