आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश में 15 वर्ष और इससे अधिक आयु के 32.3 फीसदी पुरुष और 1.7 फीसदी महिलाएं धूम्रपान करते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस) के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 42.7 फीसदी पुरुष और 10.5 फीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा क्रमशः 38 फीसदी और 9 फीसदी हैं। धूम्रपान एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है। भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है।
वहीं हिमाचल प्रदेश में भी यह एक गंभीर समस्या बना हुआ है। खासतौर पर पुरुषों वर्ग में यह काफी चिंता का सबक बना हुआ है। आईजीएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. डॉ. अमित सचदेवा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने धूम्रपान की रोकथाम के लिए कई कदम उठाए हैं और इस दिशा में सफलता भी प्राप्त की है। लेकिन फिर भी धूम्रपान को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए निरंतर जागरूकता अभियान, निगरानी और नीति-निर्माण की आवश्यकता है।
दिल और रक्त वाहिकाओं को करता है प्रभावित
आईजीएमसी के रेडियोथैरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि धूम्रपान शरीर के हर अंग को नुकसान करता है। इसमें दिल और रक्त वाहिकाओं प्रभावित होती है। वहीं हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, धूम्रपान से कैंसर, विशेष रूप से फेफड़े का कैंसर, श्वसन रोग, मूत्राशय, गुर्दे, आहार नलिका, गर्भाशय, और दांतों को भी नुकसान पहुंचता है।
घरों में 82.5 फीसदी हो रहे हैं धुएं का शिकार
सेकंड हैंड स्मोक यानि कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते है। यह भी दूसरों के धूम्रपान से निकलने वाले धुएं से प्रभावित होते हैं। यह श्वसन समस्याओं, दिल की बीमारियों, और कैंसर का कारण बन सकता है। हिमाचल प्रदेश में घरों में सेकंड हैंड स्मोक एक्सपोजर का प्रसार 82.5 फीसदी हैं। सेकंड हँड स्मोक से गैर-धूम्रपान करने वालों, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।


