आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश के किसान अब आने वाले दिनों मक्की की फसल के साथ सोयाबीन की अच्छी पैदावार कर सकते हैं। इस मिश्रित खेती से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं। सोयाबीन के कारण गेहूं की फसल बीजने में देरी न हो, इस पर जल्द ही कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने सोयाबीन की नई किस्मों पर शोध शुरू किया है। जिससे आने वाले समय में किसानों की सोयाबीन में आर्थिकी मजबूत होगी। प्रदेश में कई इलाकों में आज भी मक्की की खेती के साथ सोयाबीन की फसल बीजी जाती है लेकिन अभी तक मक्की और सोयाबीन की होने वाली मिश्रित खेती में ज्यादा पैदावार नहीं देखी गई है।
अब कृषि विवि पालमपुर सोयाबीन की नई किस्मों पर काम कर रहा है। शोध में मक्की की खेती के साथ बीजी जाने वाली सोयाबीन की अधिक पैदावार हो, ताकि किसानों का इस फसल के प्रति रुझान भी बढ़े और आर्थिकी मजबूत हो। साथ ही विवि ने सोयाबीन की जल्द पकने वाली फसल पर भी शोध कार्य शुरू किए हैं, ताकि सोयाबीन की फसल जल्द पक सकें। इससे गेहूं काय रबी की फसलों की बिजाई प्रभावित न हों। कई इलाकों में बरसात के बाद सोयाबीन की फसल देरी से पकने पर गेहूं की बिजाई में देरी हो जाती है।
इससे गेहूं की पैदावार पर भी इसका असर होता है। लेकिन विवि अब सोयाबीन की नई किस्में विकसित करने पर शोध करने लगा है। इससे सोयाबीन की फसल जल्द पक सके। कृषि विवि पालमपुर इससे पहले अपने शोध में हरा सायोबीन, पालम, हिम सोया, पालम सोया, अर्ली सोयाबीन की फसलें विकसित कर चुका है। इसमें हरा सोयाबीन के दानों को सब्जी के रूप में इस्तेमाल होता है। इसका स्वाद मटर की तरह पाया गया है, जिसका कारण यह है कि आम सोयाबीन में रासायनिक जैसी आने वाली बदबू हरा सोयाबीन में नहीं है। जिसे लोग सब्जी के रूप में अच्छी तरह से इस्तेमाल कर रहे है। जबकि सब्जी के रूप में पाया जाने वाला हरा सोयाबीन देश की पहली सोयाबीन की किस्म है। जिसे कृषि विवि ने अपने शोध में विकसित किया है।
सोयाबीन की फसल में प्रदेश के किसानों की आर्थिकी मजबूत करने पर कृषि विवि पालमपुर इसकी कई किस्मों पर शोध कर रहा है। इसमें सोयाबीन की फसल जल्दी पकने और मक्की के साथ अच्छी पैदावार जैसी किस्मों पर काम कर रहा है। प्रदेश की जलवायु की आधार पर होने वाली सोयाबीन पर भी काम हो रहा है। कृषि विवि की हरा सोयाबीन की पूरे देश में पहली फसल है, जो सब्जी के रूप में इस्तेमाल हो रही है।