हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा- संपत्ति का अधिकार मौलिक नहीं, संविधान के तहत निहित

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि संपत्ति का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि संविधान के तहत एक निहित अधिकार है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने सरकार को आदेश दिए कि चार महीने के भीतर भूमि का अधिग्रहण का कार्य पूरा किया जाए। अदालत ने साथ ही सरकार को कानून के अनुसार भूमि अधिग्रहण 1994 के प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ता को मुआवजा देने के निर्देश भी दिए हैं।

बता दें कि याचिकाकर्ता की जमीन का वर्ष 2013-14 में बाली घाटी से अश्वनी खड्ड तक सड़क निर्माण के दौरान इसका अधिग्रहण किया गया। सरकार की ओर से जमीन का अधिग्रहण उसकी सहमति के बिना किया गया। सड़क में जमीन जाने की वजह से उसे सरकार की ओर से मुआवजा नहीं दिया गया। इसी के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

वहीं सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि विवादित जमीन का उपयोग क्षेत्र के लोगों के अनुरोध पर सड़क के निर्माण के लिए किया गया था। जिन्होंने स्वेच्छा से सड़क संपर्क का लाभ उठाने के लिए जमीन देने की पेशकश की थी। पंचायत के प्रस्ताव में भी इसका जिक्र किया गया है। इसलिए मुआवजा नहीं दिया जा सकता है। इसी पर अदालत ने ये आदेश पारित किए हैं।

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