आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
प्रदेश सरकार ने बस रूट मामले को लेकर एचआरटीसी को बड़ी राहत देने की तैयारी की है। एक विशेष पालिसी सरकार के परिवहन विभाग ने अधिसूचित कर दी है, जिस पर एक महीने में आपत्तियां व सुझाव मांगे गए हैं। इस पालिसी के लागू होने से यहां एचआरटीसी को बस रूट लेने के लिए बार-बार आवेदन नहीं करना होगा, बल्कि अस्थायी परमिट के बजाय उसे भी पांच साल के लिए स्थायी परमिट मिल जाएंगे। लगभग अढ़ाई हजार रूटों के लिए स्थायी परमिट की व्यवस्था एचआरटीसी को हो जाएगी। एचआरटीसी को अपनी बसों के लिए फिर बार-बार परमिट लेने के झंझट में नहीं पडऩा पड़ेगा। परिवहन विभाग उन्हें एक ही बार में परमिट जारी कर देगा। उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण अभी तक एचआरटीसी को अस्थायी परमिट लेना पड़ रहा है। मगर जब स्थायी परमिट मिलेंगे, तो सीधे पांच साल के लिए इंतजाम हो जाएगा। सिर्फ सालाना इसका पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। अभी तक एचआरटीसी अस्थायी परमिट लेता था, जिसकी मियाद छह-छह महीने की होती है।
बुधवार को इसके लिए सरकार ने स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग स्कीम-2025 को जारी किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव परिवहन आरडी नजीम की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। परिवहन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर हितधारकों से सुझाव व आपत्तियां मांगी हैं। एक महीने तक लोग इस पर अपने सुझाव व आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं। सुझाव या आपत्तियों के आधार पर इसमें बदलाव किया जा सकता है। इसके बाद इसकी अधिसूचना को लागू कर दिया जाएगा। विभाग के अनुसार एचआरटीसी के 3264 कुल रूट हैं, जो इस योजना के अधीन आ जाएंगे। इनमें अंतर राज्यीय रूटों की संख्या 779 व राज्यांतरिक रूटों की संख्या 2484 है। प्रदेश सरकार इसको लेकर विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक भी लाएगी।
अभी निजी बसों को ही स्थायी परमिट
प्रदेश में प्राइवेट बस आपरेटरों को ही अभी परिवहन विभाग की ओर से पांच साल तक के लिए स्थायी परमिट दिए जाते हैं। उन्होंने एचआरटीसी के खिलाफ अदालत में एक मामला दायर किया था, जिसके बाद एचआरटीसी के परमिट पर स्टे लग गया था। अब नई पालिसी लाकर सरकार उनको राहत देने की कोशिश कर रही है, क्योंकि एचआरटीसी को अस्थायी परमिट से दिक्कत होती है और परिवहन विभाग को भी बार-बार अलग-अलग रूटों के लिए उसके परमिट रिन्यू करने पड़ते हैं।