छोटी परियोजनाओं को इंडस्ट्रियल सबसिडी का फायदा नहीं

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला

राज्य में लघु ऊर्जा उत्पादकों को सबसिडी का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल सीएम के सामने लघु ऊर्जा उत्पादकों ने अपना यह मसला उठाया है, जिसके बाद अब नया टैरिफ तैयार हो रहा है। 10 फरवरी को इसमें जनसुनवाई होनी है। लिहाजा वहां पर ऊर्जा उत्पादक एक बार फिर से इस मामले को उठाएंगे। उन्होंने सरकार से भी इसमें विद्युत नियामकआयोग से मुद्दा उठाने की गुहार लगाई है। केंद्र सरकार छोटे उद्यमियों को इस तरह की सबसिडी प्रदान कर रही है, मगर हिमाचल में ऊर्जा क्षेत्र के निवेशकों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस पर वर्तमान सरकार कुछ कदम उठाती है, तो यहां पर निवेश बढ़ सकता है। कई साल से यहां निजी क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादक नहीं आ रहे हैं, जिसका एक बड़ा कारण यह है कि विद्युत नियामक आयोग ने इंडस्ट्रियल सबसिडी को लेकर इनको झटका दिया है। हिमाचल प्रदेश के विद्युत नियामक आयोग ने ऊर्जा उत्पादकों को इस सबसिडी का लाभ न देकर डिस्कॉम को लाभ दिया है, मगर फिर भी इनके विद्युत टैरिफ में उस सबसिडी को भी जोड़ा जा रहा है, जिसका फायदा इन उत्पादकों को नहीं मिला। ऐसे में यहां स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक नाराज हैं और हिमाचल प्रदेश में निवेश नहीं कर रहे हैं। अब सरकार ने निजी क्षेत्र को बिजली परियोजनाएं देने का निर्णय लिया है लिहाजा छोटे उत्पादकों को भी सरकार को राहत देने के लिए मामला उठाना पड़ेगा। इनके लिए सरकार अलग से एक पॉलिसी बनाने पर भी काम कर रही है, जिसमें भी कुछ नए प्रावधान हो सकते हैं, मगर इससे पहले अगला टैरिफ सामने है और उसमें राहत मिल जाए, तो यहां निवेशकों का रुझान दिखेगा। शिमला में एक पावर कॉनक्लेव के दौरान यह मामला उठा था और प्रदेश के ऊर्जा सचिव को इस संबंध में स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों ने एक मांगपत्र भी सौंपा है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा जो टैरिफ में शर्तें रखी गई हैं, उससे स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों में नाराजगी है और वे इस बार बदलाव चाहते हैंं।

हिमाचल में 124 लघु ऊर्जा परियोजनाएं लगीं, 840 और लगेंगी

अभी तक हिमाचल प्रदेश में 124 लघु ऊर्जा प्रोजेक्ट लग चुके हैं और अभी 840 लगने हैं, परंतु जो पाइप लाइन में प्रोजेक्ट हैं, वेे अब यहां पर निवेश करने को तैयार नहीं हंै, क्योंकि वित्तीय मामलों में उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा। उल्टा उनको अपनी जेब से पैसा देना पड़ रहा है। ऐसे में स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक यहां निवेश में रुझान नहीं दिखा रहे हैं, जिसका सीधा असर हिमाचल में ऊर्जा क्षेत्र पर पड़ रहा है। न तो यहां छोटे उत्पादक ही आ रहे हैं और न ही बड़े उत्पादक। बताया जाता है कि पहले पांच करोड़ रुपए तक की सबसिडी केंद्र सरकार द्वारा मुहैया करवाई जाती थी, मगर यहां पहले विद्युत नियामक आयोग ने यह आदेश दिया कि इस सबसिडी का लाभ स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक को 25 फीसदी तक मिलेगा, जबकि बिजली बोर्ड जो डिस्कॉम है और बिजली खरीद रहा है, तो 75 फीसदी लाभ मिलेगा। इसके बाद एक आदेश दोबारा किया गया, जिसमें 100 फीसदी सबसिडी का लाभ डिस्कॉम को कर दिया और स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादक को यह लाभ बंद कर दिया गया। ऐसे में यह लोग परेशान हैं और हिमाचल में निवेश करने को तैयार नहीं है।

नहीं मिली केंद्र की सबसिडी

एक आदेश के तहत ऊर्जा उत्पादक को केंद्र सरकार की सबसिडी भी नहीं मिल रही। उस पर टैरिफ में उसे कंसीडर किया जा रहा है, जिससे इनको सीधा नुकसान उठाना पड़ रहा है। यानी इनकी जेब से यह पैसे जा रहे हैं, जो देने को वे तैयार नहीं हैं। वहीं, इनके विद्युत टैरिफ में 12-18-30 फीसदी को मुफ्त बिजली रॉयल्टी को भी पूरी तरह से नहीं जोड़ा जा रहा है। सरकार को यह मुफ्त बिजली रॉयल्टी दे रहे हैं मगर विद्युत नियामक आयोग इनके टैरिफ में केवल 12 फीसदी रॉयल्टी को ही काउंट कर रहा है, जबकि 18 व 30 फीसदी को नहीं जोड़ रहा। इसका विपरीत असर इन ऊर्जा उत्पादकों को पड़ रहा है। एक बार फिर से उन्होंने मुद्दा उठाया है, अब देखना होगा कि सरकार इस बार टैरिफ से पहले इसमें कोई राहत दिलाने के लिए नियामक आयोग को लिखती है या नहीं।

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