आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटे की प्रतिपूर्ति कैसे की जाएगी, इसके लिए राज्य सरकार ने सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों से समाधान पूछा है। अगले वित्त वर्ष 2025-26 में यह अनुदान घटकर 3257 करोड़ रुपये ही रह जाएगा। पंद्रहवें वित्तायोग के लागू होने के शुरुआती वर्ष 2021-22 में हिमाचल प्रदेश को 10249 करोड़ रुपये का अनुदान भी मिल चुका है। उस वक्त राज्य में भाजपा सरकार थी। इसके बाद के वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी राज्य को 9,377 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली। मगर अगले वर्ष यह अप्रत्याशित रूप से कम हो रही है।
15वें वित्तायोग ने आय और व्यय के बीच के अंतर की पूर्ति के लिए वर्ष 2021 से लेकर 2026 के बीच 37,199 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा अनुदान तय किया। वर्ष 2021-22 में 10,249 करोड़ रुपये अनुदान मिला। वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह ग्रांट 9,377 करोड़ रुपये मिली। वर्ष 2023-24 में 8058 करोड़ जारी की गई। 2024-25 में यह 6258 करोड़ रुपये जारी हो रही है। 2025-26 में 3257 करोड़ रुपये ही मिलेंगे। यानी अगले वित्त वर्ष में यह बहुत कम होने वाली है।
राज्य सरकार की कर्ज लेने की सीमा भी सीमित है।
मगर राजस्व घाटे की प्रतिपूर्ति कैसे करेंगे, यह वित्त और योजना विभाग के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। दिसंबर में विधायक प्राथमिकता बैठक होनी है, तो उसमें भी इस संबंध में विचार-विमर्श किया जाएगा। इसके अलावा उससे पहले वित्त और योजना विभागों ने सभी प्रशासनिक सचिवों को पूछा है कि वे बताएं कि इसकी प्रतिपूर्ति कैसे की जाए। कुछ प्रशासनिक सचिवों से राय आनी शुरू हो गई है। इसमें उपदानों का युक्तिकरण करने की बात भी की जा रही है। हालांकि, वित्त विभाग के शीर्ष अधिकारी आधिकारिक तौर पर अभी इस संबंध में स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं।