आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश में एमआईएस (मंडी मध्यस्थता योजना) में हिमफेड के सेब खरीद करने पर रोक लगाने की तैयारी है। अब तक सरकार की दो एजेंसियां एचपीएमसी और हिमफेड बागवानों से सी ग्रेड का सेब खरीदती हैं। दो के स्थान पर एक ही एजेंसी को सेब खरीदने का जिम्मा सौंपा जाएगा। एचपीएमसी को ही सेब खरीद का काम सौंपा जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में इस पर अंतिम फैसला होगा और अगले साल से नई व्यवस्था लागू होगी। एमआईएस में प्रदेश में सालाना 50 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदा जाता है, इसके लिए 300 से अधिक खरीद केंद्र खोले जाते हैं।
कम गुणवत्ता का सेब मार्केट में जाने से कीमतों में गिरावट न आए इसके लिए सरकार सी ग्रेड का सेब खरीदती है। एचपीएमसी एमआईएस में खरीदे सेब की प्रोसेसिंग कर जूस, जैम, सिरका और वाइन सहित अन्य उत्पाद तैयार करता है, जबकि हिमफेड इस सेब को बागवानों से खरीद कर मंडियों में बेच देता है। मंडियों में हल्की गुणवत्ता का सेब आने से मार्केट गिरने की आशंका रहती है। इसलिए सरकार सेब खरीद का काम एक ही एजेंसी एचपीएमसी को सौंपने का फैसला लेने वाली है।
सेब खरीद के एवज में बागवानों को भुगतान के लिए सरकार दोनों एजेंसियों को बजट जारी करती है। एक ही एजेंसी होने पर योजना लागू करने में पारदर्शिता आएगी। एमआईएस के सेब की ट्रांसपोर्टेशन में होने वाले गड़बड़झाले पर भी रोक लग सकेगी। मंडी मध्यस्थता योजना में इस सीजन में एचपीएमसी ने 24243.536 मीट्रिक टन सेब की खरीद की है, जबकि हिमफेड ने 12667.270 मीट्रिक टन सेब खरीदा है।
पिछले साल 2023 में एचपीएमसी ने 33676.08 मीट्रिक टन सेब खरीदा था जबकि हिमफैड ने 19134.395 मीट्रिक टन सेब की खरीद की थी। 2022 में एचपीएमसी ने 40475.785 मीट्रिक टन सेब खरीदा था जबकि हिमफेड ने एचपीएमसी से अधिक 42988.505 मीट्रिक टन सेब की खरीद की थी।