आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश में 14 साल बाद फिर बिजली बोर्ड के विघटन की तैयारी शुरू हो गई है। उद्योगों के लिए नई बिजली कंपनी बनाने की कवायद चल रही है। बिजली बोर्ड को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी ने खर्च और आय के आधार पर प्रस्ताव तैयार कर दिया है। नई कंपनी में बिजली बोर्ड से ही सक्षम अधिकारी लिए जाएंगे। घरेलू और अन्य उपभोक्ताओं को सेवाएं देने का जिम्मा पूर्व की तरह बिजली बोर्ड के पास ही रहेगा। कैबिनेट सब कमेटी की सिफारिशों पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा।
इससे पहले साल 2010 में बिजली बोर्ड को अलग कर ट्रांसमिशन कारपोरेशन और पावर कारपोरेशन का गठन किया गया था। दोनों निगम बोर्ड के मुकाबले अब बेहतर काम कर रहे हैं। अब बिजली बोर्ड को मजबूत करने और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने के मकसद से उद्योगों के लिए नई कंपनी बनाने का फैसला लिया गया है। कंपनी उद्योगों को दी जाने वाली बिजली से जुड़े काम करेगी। औद्योगिक इकाइयों को दी जाने वाली बिजली सहित शुल्क वसूली का काम कंपनी के माध्यम से लिया जाएगा। नई कंपनी बनने पर बोर्ड से सक्षम अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाएगा। किन अधिकारियों की सेवाएं ली जाएंगी, यह कंपनी तय करेगी। हिमाचल में उद्योगों को दी जा रही बिजली दरें अभी पड़ोसी राज्यों से महंगी हो गई हैं। इस कारण कई उद्योग पलायन करने की तैयारी में हैं या अन्य निजी बिजली कंपनियों से सप्लाई खरीदने की जुगत बिठा रहे हैं। फिलहाल सरकार ने निजी कंपनियों से बिजली खरीद पर अभी रोक लगा रखी है। समस्याओं के समाधान के लिए कैबिनेट सब कमेटी ने उद्योगों के लिए नई कंपनी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
टारगेट पूरा होने बाद ही होगी ओपीएस बहाली
राज्य बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन बहाली का इंतजार और बढ़ सकता है। सरकार ने प्रबंधन और कर्मचारियों को बोर्ड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ टारगेट पूरे करने को कहा है। इन्हें पूरा करने के बाद ही पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। प्रदेश के सभी विभागों सहित निगमों और बोर्डों में बीते वर्ष ही पुरानी पेंशन बहाल हो गई थी। सिर्फ बिजली बोर्ड में इसे लागू नहीं किया गया है।
40 साल पूरा कर चुकी परियोजनाएं बोर्ड से भी ली जाएंगी वापस
हिमाचल प्रदेश में अब 40 साल की अवधि पूरी कर चुकी जल विद्युत परियोजनाएं बोर्ड से भी वापस ली जाएंगी। सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं को प्रदेश सरकार ने 40 साल के बाद वापस लेने को फैसला लिया है। यह निर्णय बोर्ड पर भी लागू होगा। बोर्ड के पास लारजी, ऊहल, भावानगर, आंध्रा, बस्सी, गिरी, बनेर, बीनवा, गज्ज जल विघुत परियोजनाएं हैं। परियोजनाओं से उत्पादित बिजली बोर्ड स्वयं बेचता है।
सुधारात्मक कदम उठाने से महंगी नहीं होगी बिजली
बिजली बोर्ड में उठाए जा रहे सुधारात्मक कदमों से बिजली महंगी नहीं होगी। सभी हितधारकों के साथ चर्चा जारी है। व्यक्तिगत तौर पर कर्मचारी और यूनियनें सकारात्मक सहयोग देने के लिए तैयार हैं लेकिन जब संयुक्त तौर पर यूनियनें आती हैं तो बात बिगड़ रही है। उपभोक्ता हित सर्वोपरि रखते हुए सभी यूनियनों के एकमत होने की आवश्यकता है- राजेश धर्माणी, तकनीकी शिक्षा मंत्री व कैबिनेट सब कमेटी अध्यक्ष