विदेशों में भी बिकेंगे हिमाचल की जेलों में कैदियों के निर्मित उत्पाद

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला

हिमाचल प्रदेश की जेलों में बंद सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों की ओर से बनाए गए उत्पादों को अब ऑनलाइन प्लेटफार्म मिलेगा। इससे देश सहित विदेश के लोग भी कैदियों के हुनर से तराशे उत्पादों को खरीद सकेंगे। जेल प्रशासन कैदियों के बनाए उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए नई पहल कर रहा है। इसके लिए नामी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ करार करने की तैयारी चल रही है। ऐसा होने पर लोग घर बैठे ऑनलाइन हैंडलूम, बेकरी, वेल्डिंग, डेयरी फार्मिंग और पारंपरिक तरीके से खड्डी में तैयार किए गए कपड़ों की खरीदारी कर सकेंगे। इससे कैदियों के हुनर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी तो वहीं यह उनकी कमाई का भी एक अच्छा जरिया बनेगा।

हिमाचल की सेंट्रल जेल कंडा, नाहन सहित अन्य जेलों में करीब 200 महिला सहित पुरुष बंदी फर्नीचर, बेकरी, वेल्डिंग और डेयरी फार्मिंग उद्योग से जुड़े हुए हैं। कुर्सी, मेज, अलमारी, मंदिर, बेड रूम चेयर सहित बुक रैक बनाए जा रहे हैं। हथकरघा में कुल्लू डिजाइन की शॉल, स्टोल, जैकेट, स्वेटर, ऊनी जुराबें, मफलर, हिमाचली टोपी, चादरें, कोट, गमछा, दरी और सूती कंबल तैयार किए जा रहे हैं। बेकरी में चाकलेट, ब्रेड, बर्गर, नमकीन, केक, गुड़पारा, बिस्कुट, पिज्जा, पेस्ट्री सहित विभिन्न उत्पादों को हिमकारा ब्रांड के तहत हिमकारा स्टोर्स के माध्यम से बेचा जा रहा है। खास बात है कि मार्केट रेट से कम इन उत्पादों को केंद्र सरकार ने हैंडलूम मार्क प्रदान किया है। इसी के चलते अब कैदियों के बनाए उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचने की तैयारी हो रही है।

रिहा होने के बाद आजीविका कमाने का मौका

कैदियों को जेल में सीमित रखना ही नहीं है, बल्कि उन्हें जेल में रहने के दौरान रचनात्मक और आय उत्पादक गतिविधियों में शामिल करके सुधारना भी है। इससे उन्हें समय का उपयोग करने, नए कौशल सीखने और रिहा होने के बाद आजीविका कमाने का मौका मिलता है। आने वाले समय में ऑनलाइन उत्पादों की डिलीवरी करवाने पर काम किया जा रहा है।

हर हाथ काम योजना के तहत कैदियों को मिला रोजगार

हिमाचल में कैदियों के कल्याण के लिए जेल विभाग और सुधार सेवाओं ने 2016-17 में हर हाथ को काम योजना के तहत बेकरी, टेलरिंग, वेल्डिंग, डेयरी फार्मिंग, लॉन्ड्री, कैंटीन और कार वॉशिंग सेंटर सुविधाएं स्थापित की हैं। इसके बाद से कैदियों को उनकी योग्यता और रुचि के आधार पर काम सिखाया जाता है।

2016-17 से लेकर कैदियों का 32.35 करोड़ टर्नओवर

हिमकारा उन्नयन समिति के अधीन इन सभी उद्यमों को व्यवस्थित रूप से क्रियान्वित किया रहा है। साल 2016-17 से लेकर 2024 तक 4603 कैदियों को 10.90 करोड़ रुपये का वेतन दिया गया है। जेल प्रशासन का टर्नओवर करीब 32.35 करोड़ रूपये का रहा है। इन सालों में सबसे ज्यादा टर्नओवर 2022-23 में 6.17 करोड़ का रहा है। जबकि बीते वित्त वर्ष कैदियों को सबसे ज्यादा 4.69 रूपये का वेतन दिया गया।

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