पत्थर मेले में इस बार जमोदीखुंद के युवक के खून से हुआ माता का तिलक, हजारों लोग बने गवाह
आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला
शिमला के धामी पत्थर मेले में लोगों ने एक-दूसरे पर जमकर पत्थर बरसाए। दो समुदाय के लोगों के बीच करीब 15 मिनट तक पत्थरबाजी होती रही। इसके बाद जमोदीखुंद के 30 वर्षीय सुरेंद्र के खून से मां का माता का तिलक हुआ। दिवाली के अगले दिन धामी क्षेत्र में ये त्योहार होता है। इसमें दो टोलियों में लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और किसी के घायल होने पर ही ये पत्थरबाजी रुकती है। राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी क्षेत्र के हलोग इलाके में लोग एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं।
इसे पत्थर का मेला कहा जाता है। इस दौरान उस इलाके में ऐसा लगता है, मानो पत्थर की बारिश हो रही हो। लोग एक-दूसरे की तरफ आसमान में पत्थर बरसा रहे थे। इस पत्थरबाजी में किसी एक शख्स के घायल होने और खून निकलने पर ही ये पत्थरबाजी बंद होती है। इस पत्थरबाजी में जैसे ही कोई घायल होता है तो तीन महिलाएं अपने दुपट्टे को लहराती हुई आती हैं, जो पत्थरबाजी को रोकने का संकेत है।