प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा बेचेगी सरकार

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आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यूरो शिमला
प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा बेचकर प्रदेश सरकार मुनाफा कमाएगी। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। पहले चरण में सरकार किसानों से पांच हजार क्विंटल मक्की खरीदेगी। इसके लिए प्रदेश भर में प्राकृतिक खेती करने वाले 3,218 प्रमाणित किसान चयनित किए गए हैं।बाजार में आम तौर पर मक्की के 18 से 20 रुपये प्रतिकिलो तक दाम मिलते हैं, लेकिन सरकार किसानों से 30 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से मक्की खरीदेगी। देश में मक्की पर दिया जाने वाला यह सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य है। प्रति किसान से अधिकतम 20 क्विंटल तक मक्की खरीदी जाएगी। इस विधि में किसान बिना रासायनिक कीटनाशकों और खादों का उपयोग किए जीवामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र सहित अन्य जैविक घटकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके जरिए किसान जहरमुक्त ऊपज तैयार कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों से मक्की खरीदने के बाद सरकार इससे तैयार आटे की ब्रांडिंग कर लोगों को एक और दो किलो की पैकिंग में शुद्ध आटा बेच कर मुनाफा कमाएगी।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह पहल शुरू की है। इसके तहत सरकार प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों से अनाज खरीदेगी। कृषि विभाग का प्राकृतिक खेती विंग सिविल सप्लाई कारपोरेशन के जरिये किसानों से खरीद होगी। इसके लिए लगभग सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। प्रदेश में 25 खरीद केंद्र बनाएं गए हैं। 25 अक्तूबर से इन सेंटरों पर किसानों से मक्की खरीदना शुरू कर दी जाएगी। प्राकृतिक खेती करने वाले किसान अब न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि बेचने के लिए भी प्राकृतिक उपज तैयार कर रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में वृद्धि हो रही है।

1,94,285 किसान ने अपनाई प्राकृतिक खेती
सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसान बागवान विविध फसलों व फलों को प्राकृतिक खेती से सफलतापूर्वक उगा रहे हैं। प्रदेश के 1,94,285 किसान-बागवान परिवारों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया है। इसमें 34,342 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है।

10 जिलों के से होगी मक्की की खरीद
लाहौल-स्पीति और किन्नौर के अलावा बाकी 10 जिलों से सरकार मक्की की खरीद करेगी। 25 अक्तूबर से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। बाजार से महंगे दरों पर किसानों से मक्की खरीदी जाएगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग प्राकृतिक खेती से जुड़ कर रसायन मुक्त खेती करे- डॉ. मोहिंद्र सिंह भवानी, उप निदेशक, प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना

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