शारदीय नवरात्र आज से शुरू, प्रदेश के सभी मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

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शारदीय नवरात्र के अवसर पर आज प्रदेश भर के मंदिरों में भक्तों का लगा ताँता

आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला

राजधानी शिमला के माँ तारा देवी मंदिर, माँ कालीबाड़ी मंदिर, श्री संकट मोचन मंदिर, जाखू मंदिर और माँ कामना देवी मंदिर बालूगंज सहित विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। लोग मंदिरों में माँ की पूजा अर्चना कर सुख शांति की कामना कर रहे है।

नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व होता है। कलश स्थापना के साथ नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि आरंभ हो जाते हैं। कलश स्थापना में दिशा का विशेष महत्व होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार, देवी दुर्गा की पूजा के लिए ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) सबसे शुभ मानी जाती है। यह दिशा स्वच्छता, पवित्रता और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यदि इस दिशा में पूजा की जाती है, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और पूजा का प्रभाव अधिक शक्तिशाली होता है।शारदीय नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त घट स्थापना करें। इसके लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी रखें और उसमें लाल रंग की वस्त्र डाल दें। इसके बाद इसमें मां दुर्गा की तस्वीर या फिर मूर्ति स्थापित कर दें। इसके बाद प्रथम पूज्य गणपति बप्पा का ध्यान करके कलश स्थापना करें। इसके लिए पहले शुद्ध मिट्टी में जौ मिला लें। इसके बाद चौकी के बगल में मिट्टी को रखें और इसके ऊपर मिट्टी के कलश में जल, गंगाजल डालकर भरकर रखें। इसके साथ ही इसमें एक लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और एक रुपए का सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखकर मिट्टी या स्टील के ढक्कन से बंद कर दें और उसके ऊपर चावल या फिर गेहूं भर दें। अगर आप कलश के ऊपर नारियल भी रख रहे हैं, तो उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर लाल कपड़ा लपेटकर कलावा से बाद दें। इसके बाद इसे रख दें। इसके बाद कलश और मां दुर्गा की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत का संकल्प ले लें। इसके बाद मां दुर्गा और शैलपुत्री मां का मनन करते हुए सफेद फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत लगाने के साथ सफेद रंग की मिठाई जलाएं। इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाने के साथ मां शैलपुत्री मंत्र, मां दुर्गा मंत्र स्तोत्र, कवच आदि का पाठ करने के अंत में आरती कर लें और अनजाने में हुई गलतियों के लिए माफी मांग लें। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश की स्थापना करते समय इस मंत्र को बोले।

ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

नवरात्रि पूजा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। इसमें नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ विधि-विधान पूर्वक माता का स्वागत किया जाता है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति दुर्गा के प्रति समर्पण, आस्था और भक्ति का प्रतीक है। अखंड ज्योति का अर्थ है ‘निरंतर जलने वाला दीपक’। इसे देवी की कृपा और आशीर्वाद का स्रोत माना जाता है।

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