प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच करना और खाद्य जनित बीमारियों के कारणों का पता लगाना अब नहीं होगा कठिन काम
आवाज़ जनादेश / न्यूज़ ब्यरो शिमला
अब देश में गुजरात के बाद हिमाचल में फूड फोरेंसिक यूनिट शुरू किए जाने की योजना बनाई है, जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता जांच सहित खाद्य जनित बीमारियों के कारणों व आपराधिक मामलों में जांच को मदद मिल पाएगी। अब तक फेस्टिवल सीजन और नाममात्र की बजाय स्वायत्त फोरेंसिक यूनिट में खाद्य पदार्थों की 100 प्रतिशत गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इससे पहले प्रदेश में खाद्य पदार्थों के संदिग्ध सेवन से कई गंभीर मामले सामने आ चुके हैं, ऐसे मामलों पर भी अंकुश लगाने में मदद मिल पाएगी। प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच करना और खाद्य जनित बीमारियों के कारणों का पता लगाना अब कठिन काम नहीं रहेगा। सरकार ने राज्य में फूड फोरेंसिक यूनिट स्थापित करने को मंजूरी प्रदान कर दी है। स्थापित होने के बाद यह गुजरात के बाद देश की दूसरी खाद्य फोरेंसिक इकाई होगी।
कैबिनेट में छह जिलों में फोरेंसिक यूनिट को अप्रूवल प्रदान कर दिया गया है। ऐसे में अब उम्मीद जग गई है कि जल्द ही फूड फोरेंसिक यूनिट को भी मंत्रिमंडल की हरी झंडी मिलने के बाद धरातल पर उतारने का कार्य शुरू हो पाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से वितरित किए जा रहे राशन, त्योहारी सीजन में मिठाइयों, महिला एवं बाल विकास की ओर से प्रदान किए जाने वाले अनाज के नमूनों की भी जांच की जाएगी। जानकारी के अनुसार प्रयोगशाला शिमला के पास जुन्गा में राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, सेंट्रल जोन मंडी या नोर्थ जोन धर्मशाला में क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में स्थापित की जा सकती है।
फोरेंसिक यूनिट पर काम कर रही सरकार
निदेशालय फोरेंसिक सर्विसेज जुन्गा शिमला की निदेशक फोरेंसिक डा. मीनाक्षी महाजन ने बताया कि प्रदेश में फूड फोरेंसिक यूनिट बनाए जाने का प्रोपोजल बनाया गया है, जिसमें खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता व संदिग्ध खाद्य मामलों की जांच में मदद मिलेगी। विभाग की ओर से आत्मनिर्भर फूड यूनिट की योजना भी रखी गई है। इसके लेकर आगामी प्रक्रियाओं को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से कार्य किया जा रहा है।