आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में अब तक के सबसे लंबे 11 दिन के मानसून सत्र में वित्तीय बदहाली और मस्जिद विवाद हावी रहे। इस सत्र में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही ज्यादातर वक्त एक-दूसरे पर हमलावर रुख में रहे। मंत्रियों के घिरने पर मुख्यमंत्री बार-बार खुद जवाब देने के लिए उठते रहे और उनकी ढाल बने। वहीं, विपक्षी विधायकों की ओर से सबसे अधिक मुखर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर खुद रहे। जयराम जहां हर विषय पर तीर छोड़ते तो सीएम सुक्खू विपक्ष के हर बाण को काटते नजर आए। सदन में दो बड़े मुद्दे कर्मचारियों और पेंशनरों को समय पर वेतन-पेंशन न देना और संजौली में मस्जिद में अवैध निर्माण बने। पहले से ही सरकार को आर्थिक कुप्रबंधन पर घेरती रही भाजपा को बैठक के बीच बड़ा मुद्दा मिल गया, जब सरकार एक तारीख को कर्मचारियों को वेतन और पेंशनरों को पेंशन नहीं दे सकी।
यह दस सितंबर को पेंशन मिलने तक छाया रहा। विपक्ष सरकार पर कुप्रबंधन की वजह से आर्थिक संकट आने की बात करता रहा तो मुख्यमंत्री लगातार दोहराते रहे कि कोई संकट नहीं है। यह वित्तीय अनुशासन है, जो पिछली सरकार की छोड़ी देनदारियों की वजह से करना पड़ रहा है। इसी तरह मस्जिद मामले में सुक्खू सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह के सदन के अंदर वक्तव्य ने इस मुद्दे को भी राष्ट्रीय खबर बना दिया। सुक्खू इसका भी डैमेज कंट्रोल करते रहे। सदन में उन्हें उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का भी खूब साथ मिला। पहले दिन 27 अगस्त को ही विपक्ष ने सदन में हंगामा कर सारा काम रोककर राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा मांगी और सदन से वाकआउट कर दिया।