कुल्लू में बोले नेता प्रतिपक्ष, 90 हजार करोड़ पहुंचा कर्ज का आंकड़ा
आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश सुक्खू सरकार के बीस महीने में आर्थिक संकट में आ गया है। इस सरकार में आने वाले समय में यह संकट और बढ़ेगा। यह बात नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने रविवार को कुल्लू जिला में आयोजित भाजपा के सदस्यता अभियान के बाद मीडिया से रू-ब-रू होते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने हिमाचल को आर्थिक संकट में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान कोविड के चलते देश-प्रदेश की रेवेन्यू शीट कमजोर हो गई थी, लेकिन सरकार ने इसके बावजूद भी कर्मचारियों की सैलरी समय पर दी थी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में एक तारीख को ही सैलरी मिलती थी, लेकिन आज कर्मचारी सैलरी के परेशान हो रहे हैं।
आउटसोर्स कर्मचारियों को छह महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि अब केंद्र से जब किस्त आई, तो उसके बाद कर्मचारियों को वेतन दिया गया। केंद्र से 700 करोड़ जब आएगा, तो उसके बाद पेंशन मिलेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जो पांच साल में ऋण लिया था, लेकिन सुक्खू सरकार में ऋण का आंकड़ा 20 महीनों में ही 90 हजार करोड़ पार कर गया है। दिसंबर महीने से पहले-पहले यह आंकड़ा एक लाख करोड़ पहुंचेगा।
भांग की खेती को व्यवहारिक तौर पर लागू करना बड़ी चुनौती
हिमाचल में भांग की खेती को लीगल करने के लिए बनाई जा रही पॉलिसी पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चल रहे आर्थिक संकट दौर के बीच आय के नए-नए विकल्पों को तलाशा जा रहा है। प्रदेश की मौजूदा सरकार भी हिमाचल की इनकम बढ़ाने के लिए आय के स्रोतों को खोज रही है। भांग की खेती भी उसी का ही एक हिस्सा है और इसे लीगल करने के लिए पहले से ही कसरत शुरू हो गई थी। जयराम ठाकुर ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश में बढ़ते नेश के प्रचलन के बीच भांग की खेती को व्यवहारिक तौर पर लागू कर पाना चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने प्रदेश सरकार को सलाह दी है कि सरकार पहले भांग की खेती के नफे-नुकसान सही ढंग से जान ले और फिर इसे लागू करने की दिशा में प्रयास करें। जयराम ने साफ किया कि विपक्ष इस पॉलिसी के विरोध में नहीं है, लेकिन आने वाले समय में सरकार का इस पर क्या रुख रहता है, उस हिसाब से इस पर विचार किया जाएगा।