प्रदेश में सालाना 500 से ज्यादा आर्थिक अपराध

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राष्ट्रीय स्तर पर क्राइम का ग्राफ 14.0, हिमाचल में 8.0 प्रतिशत

बीतें कुछ सालों से आर्थिक अपराधों के मामलों में कमी
राज्य में जालसाजी, धोखाधड़ी फ्रॉड के 484 केस दर्ज

आवाज जनादेश / न्यूज ब्यूरो शिमला

प्रदेश की शिक्षित जनता जालसाजों और धोखाधड़ी करने वालों के जाल में फंस रही है। हिमाचल में आर्थिक अपराध की श्रेणी में सालाना 500 से ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं। अपराध जो धोखाधड़ी (चिट फंड), जालसाजी (चेक चोरी या मूल), धोखाधड़ी, या धोखा (वित्तीय संस्थान) या धन की जालसाजी से संबंधित हों वह इकोनोमिक ऑफेंस के तहत दर्ज किए जाते हैं। 2018 में प्रदेश में 600, 2019 में 641, 2020 में 536, 2021 में 519 और 2022 में 596 मामले दर्ज किए गए। 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक अपराध की दर 10.8 थी जो 2021 में बढक़र 12.7 और 2022 में 14.0 तक जा पहुंची, जबकि प्रदेश में यह दर 2020 में 7.3 , 2021 में 7.0 और 2022 में 8.0 रही।

देश भर में 2022 में इकोनोमिक ऑफेंस की श्रेणी में दर्ज मामलों की संख्या 193385 थी। प्रदेश में जालसाजी, धोखाधड़ी व फ्रॉड से जुड़े 484 मामले दर्ज किए गए जबकि क्रिमीनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट की धाराओं के तहत दर्ज मामलों की संख्या 111 रही। 2022 में प्रदेश में जालसाजी, धोखाधड़ी व फ्रॉड से जुड़े 15 ऐसे मामले सामने आए जहां पर राशि करोड़ों में थी। वहीं, 10 लाख से एक करोड़ रुपए तक की रकम से जुड़े 82 मामले दर्ज किए गए, जबकि 238 मामलों में राशि दस लाख रुपए तक थी। राष्ट्रीय स्तर पर भी इकोनोमिक ऑफेंस के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। 2018 में देश भर में दर्ज मामलों की संख्या 156268 और 2019 में 165693 थी जबकि 2020 में यह आंकड़ा 145754, 2021 में 174013 रहा तो 2022 में 193385 मामले दर्ज हुए।

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