हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव से मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट
आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिक्षकों के तबादलों में दोहरा मापदंड अपनाने पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को प्रारंभिक शिक्षा निदेशक द्वारा शिक्षकों के तबादलों में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड से अवगत करवाने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने शिक्षा सचिव से पूछा है कि क्या वह उक्त शिक्षा निदेशक के इन दोहरे मापदंडों से अवगत हैं। यदि अवगत हैं, तो उक्त शिक्षा निदेशक के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यदि अवगत नहीं है, तो उक्त अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने प्रार्थी रमन कुमार द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात यह आदेश जारी किए। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को 10 सितंबर तक उपरोक्त जानकारी शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट के समक्ष रखने के आदेश जारी किए। मामले के अनुसार प्रार्थी की नियुक्ति वर्ष 2020 में जिला चंबा के राजकीय माध्यमिक विद्यालय खजुआ बिहाली में बतौर टीजीटी नॉन मेडिकल हुई थी।
ट्राइबल क्षेत्र में तीन वर्ष का सामान्य कार्यकाल करने के पश्चात प्रार्थी ने ट्राइबल क्षेत्र से अपने तबादले हेतु विभाग को प्रतिवेदन दिया। प्रतिवेदन पर कारवाई न होने पर प्रार्थी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को प्रार्थी के प्रतिवेदन पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने के आदेश जारी किए। इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने प्रतिवेदन खारिज करते हुए कहा कि मौजूदा शैक्षणिक सत्र के मध्य में प्रार्थी का तबादला करना प्रशासनिक और जनहित में वाजिब नहीं है। इस आदेश को प्रार्थी ने फिर से कोर्ट में चुनौती दी। प्रार्थी ने कोर्ट को बताया प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने भेदभाव पूर्ण तरीके से उसके प्रतिवेदन को खारिज किया। कोर्ट ने मामले से जुड़े रिकार्ड का अवलोकन करने पर पाया कि उक्त शिक्षा निदेशक ने एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों शिक्षकों के तबादला आदेश शैक्षणिक सत्र के मध्य में किए हैं। शिक्षा निदेशक के उक्त आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि कम से कम कहें, तो यह कृत्य वाकई शर्मनाक और अपमानजनक है।