सेब उत्पादकों की मांग पर सरकार ने गठित की कमेटी

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राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी अध्यक्ष; शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष नंद लाल बनाए सदस्य

आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला

सेब उत्पादक संघ की मांगों को लेकर सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है। इसमें राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी को अध्यक्ष बनाया गया है, जिनके साथ रोहित ठाकुर और नंद लाल सदस्य होंगे। रविवार को हिमाचल प्रदेश का एक प्रतिनिधिमंडल सेब उत्पादक संघ के राज्य अध्यक्ष राकेश सिंघा तथा संजय चौहान की अध्यक्षता मे किसानों के कब्जे वाली जमीन की बेदखली को लेकर मुख्यमंत्री को मिला। इसमें करीब 350 के करीब किसानों ने भाग लिया। सरकार की ओर से इस बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर व राज्य वित आयोग के अध्यक्ष नंद लाल उपस्थित रहे। सेब उत्पादक संघ से संजय घमटा, जय सिंह जेहटा, कृष्ण ब्रामटा, ललित चौहान, नरिंद्र चौहान, अशोक झोहटा, नरेश वर्मा, नरेंद्र चौहान, रोहित, शवन लाल, कुलभूषण रावत, रिंकू, रोशन लाल, किमटा, अश्वनी पांजटा, सुनिल चौहान, अजय दुलटा, नरिंद्र मेहता, काकू राजटा के अतिरिक्त दर्शन ठाकुर, पिंकू, सुनिल चौहान व बंसी लाल दगान आदि ने भाग लिया। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि प्रदेश मे किसानों के कब्जे में जो जमीन है उसको लेकर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बेदखली की कार्रवाई आरंभ कर दी गई, जिसको लेकर पूरे प्रदेश में लाखों परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इसलिए यदि बेदखली की कार्रवाई जारी रहती है, तो लाखों लोगों के सिर से छत तथा उनका रोजी रोटी का साधन छीन लिया जाएगा। वर्ष 2002 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने किसानों के कब्जे में जमीन के नियमितीकरण के लिए एक नीति का निर्धारण कर जिन लोगों के कब्जे में जमीन है उनके कब्जों को नियमित किया जाएगा। उसके लिए भू-राजस्व कानून की धारा 163 को को जोड़ा गया।

इसको लेकर प्रदेश भर में करीब 166000 आवेदन किए गए। इसके अतिरिक्त जब प्रदेश में जब सेटलमेंट हुआ तब भी लाखों लोगों को अवैध कब्जे के नोटिस थमाए गए थे तथा उन पर कार्रवाई चल रही है, परंतु उसके पश्चात आज तक किसी भी सरकार द्वारा इस मुद्दे पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए गए। साल 2002 में सरकार द्वारा इस नियमितीकरण की नीति लाने के पश्चात उच्च न्यायालय दाखिल मुकदमों के आधार पर दिए गए आदेशों के बाद कई बार बेदखली की कार्रवाई की जाती रही है, जिसमे प्रदेश भर में हजारों गरीब परिवारों की बेदखली की जाती रही है। इस प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से मांग की है कि प्रदेश सरकार आने वाले विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे, जिसमें किसानों के कब्जे वाली जमीन के नियमितीकरण के लिए एक ठोस नीति निर्धारित की जाए तथा इसके लिए केंद्र सरकार से आग्रह किया जाए कि वन संरक्षण कानून 1980 में उसी तर्ज पर संशोधन किया जाए जैसे कि केंद्र सरकार ने दिसंबर, 2023 में बड़े औद्योगिक और कारपोरेट घरानों को जंगल में उद्योग लगाने तथा खनन करने के लिए हजारों बीघा जमीन देने का प्रावधान किया गया है। इसमें औद्योगिक उत्पादन के साथ ही साथ कृषि तथा बागबानी को भी शामिल कर भूमिहीन तथा गरीब किसानों को कम से कम पांच बीघा तक भूमि देने का प्रावधान किया जाए।

मुख्यमंत्री ने समझा लोगों का दर्द

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के लाखों परिवारों की रोजी-रोटी से जुड़ी इस समस्या को समझते हुए उचित कार्रवाई करने के लिए कानूनी रूप से जो भी संभव हो सकेगा वो कदम उठाने का आश्वासन दिया। राजस्व तथा कानून मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन करने का भी आश्वासन दिया है, ताकि प्रदेश में कब्जों के नियमितिकरण के लिए ठोस नीति का निर्धारण किया जा सके। इसके साथ ही कानूनी परामर्श के अनुसार उच्च न्यायालय में हस्तक्षेप का आश्वासन भी दिया गया।

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