आबकारी और कराधान विभाग ने कसा शिकंजा, चार बार पकडऩे जाने पर ठेकेदार का लाइसेंस होगा रद्द
आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
आबकारी और कराधान विभाग ने शराब पर ओवरचार्जिंग करने पर 15 हजार से एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान कर दिया है। चार बार से ज्यादा ओवरचार्जिंग की बात सही पाई जाती है, तो शराब ठेकेदार का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। विभाग इस संबंध में हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम 2011 और इसके तहत बनाए नियमों के तहत सख्त कार्रवाई करेगा। राज्य कर और आबकारी आयुक्त डा. यूनुस ने कहा कि अवैध शराब के कारोबार को रोकने और इसकी निगरानी करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में शराब कारोबारियों के लाभांश की तय दरों से अधिक दाम वसूलने पर उन्होंने बताया कि ओवर चार्जिंग में दोषी पाए जाने पर ठेकेदार को पहले उल्लंघन पर 15 हजार रुपए, दूसरे उल्लंघन पर 25 हजार रुपए, तीसरे उल्लंघन पर 50 हजार रुपए और चौथे उल्लंघन पर एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया है।
अगर कोई ठेकेदार ओवर चार्जिंग करते हुए चार बार से अधिक दोषी पाया जाता है, तो संबंधित आबकारी अधिकारी तुरंत जोनल कलेक्टर को ठेकेदार के खिलाफ हिमाचल प्रदेश आबकारी अधिनियम 2011 की धारा 29 के अंतर्गत कार्रवाई के लिए सिफारिश करेगा, जिसके तहत ठेकेदार का लाइसेंस निलंबित या रद्द हो सकता है। विभाग ने शराब की दुकानों पर आबकारी नीति के तहत एमएसपी और लाभांश के बारे में जानकारी प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए हैं।
इन नंबरों पर करें शिकायत
कांगड़ा जोन में दूरभाष नंबर: 01894230186, मंडी जोन में 01905223499, शिमला जोन में 01772620775 संपर्क कर सकते हैं। डा. यूनुस ने बताया कि विभाग का नियंत्रण कक्ष सप्ताहभर 24 घंटे कार्यशील रहता है और सभी नागरिक इस प्रकार के मामले संज्ञान में आते ही टॉल फ्री नंबर 18001808063, दूरभाष नंबर 0177-2620426 और व्हाट्सऐप नंबर 94183-31426 पर जानकारी साझा कर सकते हैं, ताकि रोक लगाई जा सके।
सिंगल माल्ट पर दस और बीयर पर 30 फीसदी लाभांश
शराब विक्रेताओं के लिए विभाग ने लाभांश का फार्मूला भी तय किया है, ताकि उन्हें किसी भी तरह के नुकसान से न गुजरना पड़े। यह लाभांश दस से 30 फीसदी तक तय किया है। एमएसपी पर इससे अधिक लाभांश के साथ शराब नहीं बेची जा सकेगी। आबकारी नीति के तहत बॉटल्ड इन ओरिजिन (सिंगल माल्ट, व्हिस्की, रम, जिन, वोदका, बायो बीयर/बायो वाइन, साइडर) पर दस प्रतिशत लाभांश और भारत में निर्मित सभी बीयर ब्रांड पर 30 प्रतिशत लाभांश तय किया है। देसी शराब पर 30 प्रतिशत लाभांश, देश में बनी लो ब्रांड अंग्रेजी शराब पर 15 फीसदी और हाई ब्रांड शराब पर 30 फीसदी लाभांश तय किया है। न्यूनतम विक्रय मूल्य से दस से 30 फीसदी लाभांश से अधिक शराब के विक्रय से संबंधित शिकायत के लिए विभाग ने दूरभाष नंबर भी जारी किए हैं।