डाक्टरों की हड़ताल खत्म, आज शुरू होगी ओपीडी

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मुख्यमंत्री सुक्खू के आश्वासन के बाद चिकित्सक संघ ने लिया फैसला

आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला

राज्य के सभी मेडिकल कालेज और अस्पतालों में करीब एक हफ्ते बाद बुधवार को राहत मिलने जा रही है। हड़ताल पर डटे चिकित्सक ओपीडी संभालने को तैयार हो गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ सचिवालय में हुई मीटिंग के बाद चिकित्सकोंं ने ओपीडी में लौटने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने चिकित्सकों की सुरक्षा को पूरी गारंटी दी है। इसके अलावा चिकित्सक हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम संशोधन अधिनियम 2017 की अधिसूचना जारी करने का भी आश्वासन दिया है। कोलकाता में प्रशिक्षु चिकित्सक से रेप और हत्या के बाद से हिमाचल में चिकित्सक सुरक्षा की गारंटी सरकार से मांग रहे थे। एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर्स एसोसिएशन, रेजिडेंट डाक्टर एसोसिएशन और मेडिकल आफिसर एसोसिएशन ने आंदोलन शुरू कर दिया था।

मंगलवार को चिकित्सकों ने सचिवालय का घेराव करने की कोशिश की और आईजीएमसी से सचिवालय तक रोष रैली निकाली। मुख्यमंत्री से मुलाकात को लेकर करीब दो घंटे तक चिकित्सक सचिवालय के बाहर डटे रहे। इसके बाद मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से बातचीत की। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर सरकार सजग है और सभी जरूरी प्रबंध मेडिकल कालेज और अस्पतालों में किए जाएंगे।

डाक्टरों ने बनाई रणनीति

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद चिकित्सक सचिवालय से वापस लौट आए और दोपहर बाद करीब तीन बजे आरडीए और एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर्स एसोसिएशन की एक बैठक का आयोजन कर आगामी रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक में संयुक्त रूप से हड़ताल को खत्म कर ओपीडी को सामान्य रूप से शुरू करने का फैसला किया गया। एसोसिएशन ऑफ मेडिकल एंड डेंटल कालेज टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बलवीर एस वर्मा की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। सोशल सेक्रेटरी डा. मनीष गुप्ता ने बताया कि संयुक्त रूप से हड़ताल को खत्म कर सचिवालय में ओपीडी शुरू करने की बात कही है।

मांगें जल्द पूरी करे सरकार

मेडिकल आफिसर एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष डा. राजेश राणा ने बताया कि उनकी एसोसिएशन आरडीए के साथ है। कोलकाता की घटना चिंताजनक है। हड़ताल को जारी रखने या खत्म करने के बारे में एसोसिएशन बैठक करेगी और इस बारे में जल्द ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनकी एसोसिएशन का फैसला आरडीए से अलग नहीं है, लेकिन जो मांगें सरकार के समक्ष रखी गई हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए।

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