कल से पांच दिवसीय दौरे के दौरान डिलीवरी इंजनों की सप्लाई में हो रही देरी का उठाएंगे मुद्दा
आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके1ए को जल्द ही अपना इंजन मिलने की उम्मीद है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जल्द ही अमरीका के दौरे पर रवाना होने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि अपने इस पांच दिवसीय दौरे में रक्षा मंत्री अमरीकी फर्म जनरल इलेक्ट्रिक की तरफ से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को जीई-एफ404 टर्बोफैन इंजन की आपूर्ति में हो रही देरी के मुद्दे को अमरीकी अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे। भारतीय वायुसेना को तेजस एमके1ए की डिलीवरी इंजनों की सप्लाई में देरी के चलते लटक रही है। भारतीय वायु सेना को 31 मार्च, 2024 तक पहले तेजस एमके1ए की डिलीवरी होनी थी, लेकिन इसमें लगभग 10 महीने की देरी हो रही है।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 21 अगस्त से अमरीका की पांच दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। रक्षा मंत्री 23 अगस्त को पेंटागन में अपने अमरीकी समकक्ष डिफेंस सेके्रटरी लॉयड ऑस्टिन के साथ रक्षा सहयोग को और मजबूत करेंगे। राजनाथ सिंह 21 से 25 अगस्त तक अमरीका में रहेंगे। रक्षा मंत्री की यह यात्रा इसलिए भी महवपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सितंबर को अमरीका की यात्रा पर रवाना होने वाले हैं।
एलसीए-एमके ढ्ढढ्ढ के इंजन पर भी होगी बात
रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारत तेजस मार्क-2 वर्जन लाने की भी तैयारी कर रहा है। इसमें भी जीई एफ 414 जेट इंजन लगाया जाना है। भारत की कोशिश रहेगी कि भारत-अमरीका मिल कर इस इंजन का संयुक्त उत्पादन करें। साथ ही, भारत जीई के साथ कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने से पहले ही तेजस मार्क-2 के प्रोटोटाइप की फ्लाइट टेस्टिंग के लिए एडवांस में कुछ जीई एफ-414 इंजन देने की बात कही है। एलसीए-एमके ढ्ढढ्ढ का प्रोटोटाइप 2025 की शुरुआत तक आना था, लेकिन उसमें एक साल की देरी हो रही है। सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के साथ इस मामले पर चर्चा करेंगे, ताकि इंजन की सप्लाई में तेजी लाई जा सके।
एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन डील को लेकर होगी चर्चा
रक्षा सूत्रों के मुताबिक तेजस इंजन मुद्दे के अलावा, उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा होगी। दोनों देश जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और स्ट्राइकर आर्मर्ड व्हीकल जैसे प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों के सह-उत्पादन को लेकर भी बात होगी। स्ट्राइकर के को-प्रोडक्शन में भारत की गहरी दिलचस्पी है, सेनाओं की जमीनी लड़ाकू क्षमताओं में बढ़ोतरी करेगी।