HRTC : एचआरटीसी को घाटे के रूटों से मिलेगा छुटकारा

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आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला

एचआरटीसी के पक्ष में सरकार जिस तरह के निर्णय ले रही है उससे आने वाले समय में इसके फायदे में आने की पूरी संभावना है। निगम के एमडी रोहन चंद ठाकुर ने शुक्रवार को निगम को घाटे से उभारने को लेकर अपनी प्रेजेंटेशन दी है, जिसके बाद सरकार ने दो अहम निर्णय लिए हैं। इसमें से एक घाटे के रूट एचआरटीसी से छुड़ाकर प्राइवेट बस ऑपरेटरों को देने का निर्णय है। इसमें 168 घाटे वाले रूटों पर एचआरटीसी बस सेवाएं बंद करेगा और उन रूटों पर बेरोजगार युवा अपनी बसें चला सकते हैं, जिसके लिए उन्हें निगम को अप्लाई करना होगा।

इसमें अहम बात यह है कि सरकार ने बस रूटों को लेकर जो पॉलिसी पहले बनाई थी, उसमें छूट दे दी है। यानी इन रूटों को प्राइवेट बस ऑपरेटर्ज को देने के लिए 60-40 का अनुपात रखा था, जिसमें बस रूट 60 फीसदी तक ग्रामीण क्षेत्रों में होगा और 40 फीसदी स्टेट या नेशनल हाइवे में शामिल रहेगा, जिससे सरकार ने छूट प्रदान कर दी है। हालांकि ये रूट कौन से हैं, इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है। बता दें कि एचआरटीसी ने ऐसे 200 से ज्यादा रूटों को विज्ञापित कर रखा है, जिसमें कुछ के लिए आवेदन आ चुके हैं और अब 168 में सरकार ने पॉलिसी में छूट दे दी है।

प्रदेश सरकार ने बंद की कई सुविधाएं

वर्तमान में प्रदेश सरकार एचआरटीसी को 700 करोड़ रुपए का सालाना अनुदान दे रही है। एचआरटीसी से सरकार कई तरह की सुविधाएं ले रही हैं। इसमें पुलिस कर्मियों से भी मासिक किराया 250 रुपए लेकर उनको यात्रा सुविधा दी जा रही थी, जिसे अब सरकार ने बंद कर दिया है। वहीं, कई और मुफ्त यात्रा सुविधाएं सरकार दे रही है, जिसकी एवज में निगम को सालाना अनुदान देना पड़ता है। इसी अनुदान से एचआरटीसी के कर्मचारियों को वेतन मिलता है, तो वहीं पेंशनरों को पेंशन दी जाती है। सरकार के इस फैसले से सालाना 14 करोड़ रुपए की बचत होगी।

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