आवाज जनादेश/न्यूज ब्यूरो शिमला
हिमाचल प्रदेश ने अपने पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को बिजली की सप्लाई शुरू कर दी है। पंजाब को बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से सर्दियों में ली गई बिजली की वापसी की जा रही है, जबकि दिल्ली की दो एजेंसियों को बिजली बेची जा रही है। प्रदेश की नदियां उफान पर हैं, जिसमें सिल्ट ने जरूर नुकसान किया है, लेकिन इससे फिलहाल बिजली बोर्ड के सामने बिजली का संकट नहीं है। आने वाले दिनों में यदि भारी बारिश का दौर चलता है,तो नदियों में सिल्ट बढ़ेगा तब यहां पर प्रोजेक्ट बंद हो सकते हैं। अभी भारी बारिश से बिजली बोर्ड के दो प्रोजेक्ट बंद हैं, लेकिन शेष परियोजनाएं अपना पूरा उत्पादन कर रही हैं। जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश ने इस सीजन में पंजाब को 375 मेगावाट और दिल्ली को लगभग 90 मेगावाट बिजली की सप्लाई शुरू की है। इन दोनों राज्यों की बिजली जरूरत को इस समय हिमाचल पूरा कर रहा है। पंजाब से सर्दियों के दिनों में बिजली ली जाती है, जिसे हम गर्मियों में वापस करते हैं। इस बार देरी से पंजाब को बिजली की वापसी हो रही है। पिछले दो तीन दिनों से प्रदेश में भारी बारिश हुई है और बादल फटने की घटनाओं से यहां बिजली प्रोजेक्टों को भी नुकसान हुआ है।
मगर फिलहाल इस कारण से बिजली बोर्ड की अभी दो ही परियोजनाएं बाधित हैं, जिनमें घानवी और लारजी परियोजनाएं हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र का मलाणा बंद पडा है जिसमें काफी नुकसान हुआ है और निजी क्षेत्र के छोटे-छोटे करीब एक दर्जन प्रोजेक्ट भी बंद पड़े हैं। सतलुज और ब्यास दोनों नदियों में काफी ज्यादा सिल्ट आ चुकी है, जिसका नुकसान बिजली प्रोजेक्टों को होता है। हालांकि सतलुज में बाढ़ आने से वहां पर घानवी परियोजनाओं को नुकसान हुआ है, जिसका चरण एक व चरण दो बंद है। इसमें करीब 16 मेगावाट बिजली उत्पादन बंद हो गया है। प्रदेश में बीबीएमबी और एसजेवीएन के प्रोजेक्टों में उत्पादन फिलहाल दुरुस्त है। ब्यास के साथ सतलुज नदी में सिल्ट की समस्या ज्यादा रहती है, जिससे बड़े प्रोजेक्टों में उत्पादन बाधित हो जाता है।
हर रोज 500 लाख यूनिट बिजली उत्पादन
मगर राहत की बात यह है कि अभी शेष सभी परियोजनाओं में बिजली का उत्पादन हो रहा है और हिमाचल प्रदेश के पास लगभग 500 लाख यूनिट रोजाना बिजली उपलब्ध है। बिजली बोर्ड के पास जो बिजली सरकारी व निजी क्षेत्र से आ रही है वह पर्याप्त है। ऐसे में दूसरे राज्यों को बिजली बेचने का सिलसिला भी चल रहा है। बताया जाता है कि कुछ अन्य राज्यों से भी बिजली को लेकर प्रस्ताव आए हैं और नॉर्थ ग्रिड के माध्यम से इस संबंध में बात चल रही है।
ब्यास उफान पर, लारजी परियोजना बंद
ब्यास नदी के उफान पर होने के चलते लारजी परियोजना को बंद किया है क्योंकि इसमें सिल्ट काफी ज्यादा बढ़ गई है। लारजी परियोजना को पिछले साल बड़ा नुकसान हुआ था जिसके बाद इसकी एक यूनिट उत्पादन में आई थी।