अवाज़ जनादेश/ब्यूरो
शिमला जुबल निवासी राजन रोल्टा ने शूलिनी विश्वविद्यालय से जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण करने के साथ साथ शूलिनी विश्वविद्यालय में एक शोधकर्ता के रूप में कार्य किया। रोल्टा ने 8.4 वर्षो के कार्यकाल में बीस अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्र प्रकाशित किए और सत्रह पेटेंट दर्ज किये।
राजन रोल्टा को शोध कार्यों हेतु राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छः पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। औषधीय पौधों से कवक और जीवाणु रोगजनकों में कई दवा प्रतिरोध का इलाज करने के लिए फाइटोकंपाउंड्स खोज किए हैं।
रोल्टा का कहना है की आने वाले समय में मल्टिपल ड्रग रेजिस्टेंस एक बहुत बड़ा खतरा बने वाला है। रोल्टा का कहना है कि एंटीबायोटिक्स को बिना चिकित्सक के परामर्श से नही लेना चाहिए तथा मरीज को अपना एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करना चाहिए। एंटीबॉटिक्स का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
शुलिनी विश्वविद्यालय मे अपने शानदार सफर के लिये वे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पी.के.खोसला के मार्गदर्शन व सहयोगात्मक वात्सल्यपूर्ण मार्गदर्शन का आभार जताते हुए रोल्टा आगे भी औषधि क्षेत्र मे और भी महत्वपूर्ण शोधों की इच्छा रखते हैं।
उनका मानना है कि हमें भारत के हिमालय क्षेत्र मे व्याप्त असंख्य औषधियों के अध्ययन और उनके भीतर चमत्कारिक फाईटोकॉम्पाउंड्स खोजने होंगे तांकि हम संपूर्ण मानवजाति के कल्याण के लिये कार्य कर सके।।
जुब्बल तहसील के सारी गांव के रहने वाले राजन रोल्टा ने शोध के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए है।
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