केलांग, 22 अगस्त- तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा ने आज त्रिलोकनाथ में आयोजित पौरी मेला के पूजा-अर्चना एवं पुरातन परम्पराओं के निर्वहन के अवसर पर शिरक़त की।
उन्होंने जानकारी दी कि त्रिलोकीनाथ मंदिर को बौद्ध एवं हिंदू आस्था के केंद्र के रूप में भगवान शंकर व अवलोकितेश्वर भगवान के रूपों में, दोनों समुदायों द्वारा पूजा जाता है। इसी प्रकार से भगवान शिव के इस स्थान का संबंध पवित्र मणिमहेश से भी प्राचीन काल से माना जाता है। आज के दिन श्रद्धालुओं का एक जत्था पवित्र मणिमहेश यात्रा के लिए यहां से रवाना होता है जो कि कुगती जोत पार करते हुए मणिमहेश पहुंचता है। हर वर्ष श्रद्धालुओं का एक जत्था इसी प्रकार से मणिमहेश की यात्रा करता है जोकि पोरी मेले के समापन दिवस को यहां से रवाना होता है तथा पांच दिनों की पदयात्रा के पश्चात मणिमहेश पवित्र झील तक पहुंचता है।
यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है जिसका निर्वहन आज भी उसी आस्था के साथ किया जाता है।
डॉ मार्कंडेय ने कहा कि मेले हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा हैं। पौरी मेला यहां का बहुत ही पुरातन एवं ऐतिहासिक मेला है। ईस बार जबकि प्रत्येक सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन कोरोना महामारी के चलते, सूक्ष्म रूप से किया जा रहा है।
इस तरह के पुरातन त्योहार एवं मेलों में मानक संचालन प्रक्रिया का पालन करते हुए केवल पुरातन परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है।
पौरी मेला के आयोजन में भी केवल आवश्यक प्राचीन परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है। डॉक्टर मारकंडा ने त्रिलोकनाथ मंदिर के लामा तथा यहां की देव परंपरा से जुड़े हुए लोगों के साथ मंदिर में पूजा अर्चना की तथा मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले जत्थे को भगवान त्रिलकनाथ के जयकारों के साथ रवाना किया गया।
इस अवसर पर नायब तहसीलदार उदयपुर रामचंद नेगी,एक्सिन पीडब्ल्यूडी बीसी नेगी सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।