आवाज़ जनादेश/ब्यूरो हरियाणा
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सरकारी इंतजामों व मरीजों की सहायता के सरकारी दावों को पूर्णतयः फेल करार देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि प्रदेश में कोरोना मरीजों के हालात बहुत ही बदतर और ईश्वर भरोसे है। सरकार अपने कर्तव्य निर्वाहन में असफल रही है। कोरोना की दूसरी लहर के पूर्वानुमान के बावजूद भी समय रहते कोई अगेती कार्यवाही नही की गई जबकि सरकार के पास पर्याप्त समय था। यहां तक कि ऑक्सीजन की कमी होने पर ही नए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा करके खानापूर्ति की गई जैसे आग लगने पर कुआं खोदने की कोशिश करना। प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री हमेशा खबरों में बने रहने के लिए नित नई घोषणाएं करते रहते है लेकिन धरातल पर मरीज मर रहा है। सरकारी हस्पतालों में बेड पहले से ही फुल है और निजी हस्पताल गरीब व्यक्ति की पहुंच से बाहर है क्योंकि उनमें से कुछ की छुरी भी खुण्डी है। कहने को सरकार ने निजी हस्पतालों के इलाज के रेट 10000 रुपये से 18000 प्रतिदिन के हिसाब से निर्धारित किए है जोकि मल्टीस्पेशलिटी हस्पतालों के लिए तो कुछ उचित भी है लेकिन ऐसे ऐसे निजी हस्पताल जिनका मुख्य उद्देश्य जनसेवा है और जिन्हें स्वस्थमन्त्री द्वारा समय समय पर लाखों रुपए अपने स्वेच्छिक फंड में से भी दिए थे ताकि ये हस्पताल गरीबो का इलाज कर सके लेकिन अफसोस कि ऐसे हस्पताल भी इन दिनों 18000 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मरीजों से ऐंठ रहे है जबकि उनके कोविड वार्ड में नए भर्ती डॉक्टर व नर्सेस कार्यरत है जिन्हें कोविड के बारे कोई महारत हासिल नही है। विशेषज्ञ डॉक्टर तो कोविड सेंटर में मरीज को देखने आते ही नही सिर्फ रिपोर्टों के आधार पर मरीज को दवा दे दी जाती है । निजी हस्पताल दिनों दिन करोड़पति होने की ओर अग्रसर है, कोई देखने पूछने वाला नही। निजी हो या सरकारी हस्पताल, फोंन करने पर बताया जाता है कि बेड उपलब्ध नही है। होम आइसोलेशन के लिए किट व ऑक्सीजन की योजना सरकार ने घोषित जरूर की है लेकिन इसे धरातल पर अमली जामा पहनाया जाना अभी दूर है। प्रश्न यह भी उतना स्वभाविक है कि ऐसे हस्पतालों को स्वास्थ्यमंत्री द्वारा फंड दिया जाना क्या उचित है जो मरीज से इलाज के 18000 रुपये प्रतिदिन तक वसूल रहे है जबकि दवा तोर पर साधारण दवाऐं ही दी जा रही है। बाज़ार में दवा के रेट व एम्बुलेंस चार्ज के बारे अनेक अव्यवस्थाएं जगजाहिर है ऐसे में यह कहना अनुचित न होगा कि आज कोरोना मरीज ईश्वर भरोसे है। इस सारी व्यवस्था से उभरने के लिए जनता को स्वयं जागरूक होकर कोरोना अनुकूल व्यवहार करके अपने आप को बचाना होगा ताकि इस महामारी पर विजय प्राप्त की जा सके।
सरकारी हस्पताल में बेड नही तो निजी हस्पतालों में मची लूट।
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