डिजिटल इंडिया और इंटरनेट बन्द।
कपड़े महंगें,ड्राईक्लीन सस्ती,अच्छा व्यंग्य है।
2021 के आम बजट को हवाई व निराशात्मक करार देते हुए इनैलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने कहाकि पेपरलेस बजट पेश करते हुए डिजिटल इंडिया का दावा तो किया गया लेकिन सरकार अपनी साख बचाने के लिए खुद इंटरनेट बन्द किए हुए है। देश का पहला ऐसा बजट है जिसमे आमजन की निराशा के अतिरिक कुछ भी नही मिला। आयकर की छूट में कोई इजाफा नही किया गया, मध्यमवर्ग को कोई राहत नही दी गयी,कोरोना संकट से पसरी आर्थिक मंदी से निपटने की कोई योजना नही बनाई गई, 2 करोड़ सालाना रोजगार का दावा करने वाली सरकार ने रोजगार वृद्धि का कोई उपाय नही किया गया, उच्च व तकनीकी शिक्षा की बात भी नही हुई, रक्षा बजट का कोई विवरण नही दिया गया लेकिन बाते जरूर लाखो करोड़ की की गई। आम आदमी की सेहत का ख्याल रखने का दावा करते हुए स्वास्थ्य बजट में 135% का इजाफा करते हुए 94.2 लाख करोड़ का प्रावधान जरूर दिखाया गया लेकिन कोरोना वैक्सीन के पूरे देश मे निशुल्क वितरण और सुविधाओं से वंचित गरीब व मध्यमवर्ग के लिए सभी स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क उपलब्ध करवाने की बात भी नही की गई। पर्यावरण स्वच्छता के लिए 15 वर्ष पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने का प्रावधान तो कर दिया लेकिन गाड़ी धारकों को नई गाड़ी कैसे उपलब्ध होगी इसका कोई जिक्र नही किया गया। बजट को चुनावी रंग देते हुए चुनावी राज्यो पश्चिम बंगाल में 1.0 लाख करोड़ की सड़कें व 25000 करोड़ के अन्य प्रावधान और तमिलनाडु में 95000 करोड़ की सड़कें बनाने समेत आधारभूत सरंचना मजबूत करने का दावा किया गया लेकिन छोटे व मझोले उद्योग जो कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था में अधिकतम योगदान देने वाले है, के लिए मात्र 15700 करोड़ का प्रावधान किया गया। घाटे में चल रहे बैंकों को उभारने की 20000 करोड़ की योजना के साथ साथ बैंकों को बेचने की योजना भी बना दी गयी। बीमा छेत्र में विदेशी योगदान 49% से बड़ा कर 74% करने की योजना स्पष्ट करती है कि सरकार अपनी सामाजिक जिम्मेवारी से भी किनारा करना चाहती है। बीमा गरीब व्यक्ति का सुरक्षा कवच होता है, यह छेत्र तो सरकार के हाथ मे होना चाहिए ताकि आमजन की सुरक्षा हो सके। कृषि छेत्र में ऋण के लिए 16.5 लाख करोड़ का भारी भरकम प्रावधान किया गया लेकिन यह स्पष्ट नही किया गया कि 9 मन तेल आएगा कहां से। एक्साइज ड्यूटी कम करके पेट्रोल पर 2.5 % और डीज़ल पर 4% कृषि सेस लगाने से किसान या किसी अन्य वर्ग को कोई फायदा नही होगा यह सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है। 2.5 लाख से अधिक प्रोविडेंड फंड ब्याज पर कर लगाने से बचत हतोउत्साहित होंगीं, 75 वर्ष से अधिक आयु के पेंशन धारकों को आयकर रिटर्न भरने से छूट देने से कोई खास फर्क नही पड़ेगा क्योंकि 75 से अधिक आयुवर्ग की संख्या बहुत कम है। यह आयु सीमा 60 वर्ष होनी चाहिए। स्वच्छता मिशन पर 2.8 लाख करोड़ व शहरी स्वच्छता अभियान पर 1.41 लाख करोड़ का प्रावधान भी हवाई किले जैसा है। एक भारत एक कार्ड की बात की गई लेकिन वोट कार्ड, राशनकार्ड, पैनकार्ड, आधारकार्ड, रिहायशी सर्टिफिकेट जैसे अनेक कार्ड होने के बावजूद अब परिवार कार्ड में जनता को उलझाया गया। कुल मिलाकर आंकड़ों की बाजीगरी वाले बजट को विजनलेस कहना अनुचित न होगा क्योंकि इस गाड़ी का तो पूरा चक्का ही हवा में है।