अश्वनी कुमार आत्महत्या मामला: कैसे टूट गया इतना मजबूत स्तंभ, हर कोई हैं स्तब्ध

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आवाज़ जनादेश/शिमला
पूर्व राज्यपाल, पूर्व सीबीआई निदेशक और पूर्व डीजीपी हिमाचल के रूप में बेहतरीन सेवाएं दे चुका इतना मजबूत स्तंभ कैसे टूट गया। यह जानकर हर कोई स्तब्ध है। नगालैंड के पूर्व राज्यपाल अश्वनी कुमार देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के निदेशक बनने से पहले हिमाचल के डीजीपी थे। उनका नाम पुलिस महकमे में कई सुधारों के लिए जाना जाता है। अश्वनी कुमार अकसर पत्नी के साथ मालरोड की सैर करने आते थे। हर कोई उनका अभिवादन करता था तो वह मुस्कराकर जवाब देते थे। उनकी कार्यशैली और कर्मठता का पुलिस विभाग का हर आम और खास आदमी मुरीद था। किसी विषय पर बात करनी होती थी तो वह आईजी, डीआईजी या एसपी को नहीं, उनके अधीनस्थ क्लर्कों, अधीक्षकों को खुद फोन करते थे, उनसे जानकारी लेते थे। पुलिस कर्मचारियों के कल्याण की भी उन्होंने कई योजनाएं चलाईं। हिमाचल के अपने पुलिस अधिनियम का खाका भी उनके समय में बना। पुलिस के मददगारों के लिए भी उन्होंने पुरस्कार योजना शुरू की। हिमाचल में जब धूमल सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2008 में उनका चयन यूपीए सरकार में सीबीआई के निदेशक पद के लिए हो गया था। यह हिमाचल के लिए गौरव की बात बनी। उन्हीं के सीबीआई निदेशक रहते शिमला में सीबीआई की इकाई शाखा में स्तरोन्नत हुई। उसके बाद जब वह 2013 में नगालैंड के राज्यपाल बने तो तब हिमाचल के सम्मान के लिए और भी बड़ी बात हो गई। उसके बाद गवर्नर का पद छोड़कर उन्होंने शिमला में एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर ज्वाइनिंग दी तो हर कोई हैरान था कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। इतने बड़े-बड़े पदों से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने यह नया काम अध्ययन-अध्यापन के शौक को पूरा करने के लिए चुना था।

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