खतरे में है देहा के जंगलों का अस्तित्व,निश्चिंत है विभाग

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सड़क निर्माण में अनियमिताओं से 300 पेड़ो को पैदा हुआ खतरा
छोटे नदी नालो का अस्तित्व मिटा
प्राकृतिक जल स्त्रोत बंद 22 केवी को भारी क्षति ,पत्थर नाला चंबी पाइपलाइन क्षतिग्रस्त

आवाज़ जनादेश /शिमला ब्यूरो

चौपाल विधानसभा के अंतर्गत देहा से खिड़की सड़क निर्माण में नियमों को तारतार किया गया है,ठेकदार की दबंगई से देहा से खिड़की तक देवदारों के 300 अधिक पेड़ो को खतरा पैदा हो गया है,दर्जनों गिर चुके है ।सडक निर्माण से जहाँ देकेदार ने डेंनस्फोरेस्ट का भारी नुकसान पहुँचाया है वहीं 300 पेड़ो के गिरने का खतरा पैदा होगया है,दूसरी तरफ सडक निर्माण से नालो में मलबा गिराने से पत्थरनाला चंबी पाइपलाइन पुरीतरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है तथा 22kv विधुत लाईन को भी नुकसान पहुंचा है। सड़क निमार्ण से निकलने वाला मलबा घने जंगल,नालों में डाला गया है |जिस कारण 4-5 किलोमीटर जंगल मलवे में तबदील हो गया है इसे प्राकृतिक जल स्त्रोत भी बंद हो गए है | चौपाल लोकनिर्माण विभाग ने 2018 में देहा से खिड़की 10 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य ठेकेदार त्रिलोक राठौर को दिया था | 11 करोड़ की लागत से चौड़ी की जा रही सड़क निर्माण में 70 फीसदी सीडी,मैटलिंग कार्य प्रस्तावित है| कटिंग करने पर साथ-साथ सुरक्षा दीवारों का निर्माण करना था जिससे जंगल को नुकसन न हो तथा 3 डंपिंग क्षेत्र विकसित करने की भी विभाग बात कर रहा है | परन्तु यंहा एसा नही हुआ लगातार 7-8 किलोमीटर कटिंग कार्य किया गया जिसमे कोई भी सुरक्षा दिवार नही लगाई न मलबे की कोई डंपिंग की गई,मलबा जंगल में हर कंही फैंक गया है| वन विभाग की आँखों के सामने पुरे जंगल को तःस्नेहस कर दिया गया लेकिन विभाग कुंभकर्णी नीद में सोता रहा | “आवाज़ जनादेश” के प्रमुखता से अनियामीताओं को उजागर करने के बाद वन विभाग की आंखे खुली लेकिन तब तक देर हो चुकी थी सडक निर्माण कार्य में दर्जनों पेड़ को गायब हो चुकें थे,सैंकड़ो को खतरा पैदा होगया था हजारो पेड़ मलबे से क्षतिग्रस्त होगए थे | सड़क निर्माण के समय काटे गए पेड़ो का ब्यौरा वनविभाग के पास नहीं है | विभाग मुख्दर्शी क्यों बना रहा और ठेकेदार को जंगल नष्ट करने की खुली छुट क्यों दी गई इसका जबाब तो विभाग ही दे सकता है | परन्तु सड़क निर्माण से जंगल का नुकसान हर कोई देखा सकता है,रेंज कार्यलय देहा के दरवाजें के सामने दिनदिहाड़े धड़ाधड़ जंगलो का नुकसान होता रहा विभाग के आला सोते रहे छोटे कर्मचारियों को भी कार्यवाहीं करने से आखिर क्यों रोका गया |प्रश्न उठाना सभाविक है कि क्या पुरे प्रकरण में विभाग के अधिकारीयों का मुहूँ बंद करने की कीमत दी गई थी | अगर ऐसा नही है तो कर्यवाही से क्यों रोका गया खबर के बाद आनफानन ठेकेदार की एक लाख के लगभग DR क्यों काटी गई | अगर ठेकेदार सही है तो DR क्यों अगर दोषी है तो मलवे गिराने वाले टिपर क्यों नही पकड़े गए यह सैंकड़ो प्रश्न का जबाब विभाग को देना होगा | इस कार्य निर्माण के लिए जलशक्ति,विधुत एवं वन विभाग NOC क्यों नही लिए गए और ठेकेदार को 1 करोड़ 65 लाख की अग्रिम राशी कैसे जारी की गई क्या यह जाँच का विषय नही है| इस पुरे प्रकरण में अधिकारीयों की मिलीभक्त स्पष्ट दिखाई दे रही है | ओपचारिकता न पूरी करने से लोगो को सडक असुविधा का सामना करना पड़ रहा है| सरकार को अधिकारीयों पर जाँच करनी होगी | आखिर पुरे मामले पर स्थानीय विधायक की चुपी क्यों है,मामले पर अभीतक जाँच क्यों नही हुई देखना यह है की सरकार इस पर क्या संज्ञान लेती है | कब तक देकेदारों को अपनी गोद में विठाकर सरक्षण देती है | लोकनिर्माण विभाग के अनुसार ठेकेदार की तीन डंपिंग क्षेत्र बनाने थे जिसका वन विभाग को भी डम्पिंग की अनुमति के लिए पत्र भेजा गया हैं ।


सूत्रों के अनुसार वन विभाग ने खबर लिखने के बाद पेड़ो का ब्यौरा तैयार करना आरम्भ किया है परन्तु निर्माण की गई सडक में कितने पेड़ो की बली दी गई इसका ब्यौरा नही है | वनविभाग ने जो रिपोर्ट हाल ही में तैयार की है उसे उच्चअधिकारीयों में हडकंप मचना सभाविक है | अगर विभाग ने समय पर कार्यवाही की होती तो शायद जंगल का इतना बड़ा नुकसान न होता |चकित करने वाली बात यह है की अप्रैल 2020 तक वन विभाग के पास सड़क निर्माण में कट रहे पेड़ो का कोई भी ब्यौरा नही था। जिसे वह बता सके की सड़क निर्माण में कितने पेड़ कटने हैं। जबकि नियमों के अनुसार सबसे निर्माण से पहले मार्किंग के पेड़ो की नीलामी करनी होती है तथा डंपिंग क्षेत्र चिन्हित करने होते है इन प्रक्रिया को किए बिना निर्माण कार्य आरंभ नही हो सकता । निर्माण कार्य मे मनमर्जी से सैंकड़ो पेड़ो बली दी गई सैंकड़ो को खतरा पैदा किया गया । छोटे नदी नाले मलबे में दबा दिए गए हजारो पेड़ो को क्षति पहुचाई गई|जहाँ तहां फैंका गया मलबा आपदा को नयोता दें रहा है | लोकनिर्माण विभाग 3 भंडार क्षेत्र की बात कर रहा हैं। लेकिन वनविभाग इससे पूरी तरह नकार रहा हैं।RO देहा से मिली जानकारी में उन्होंने कहा है की लोकनिर्माण विभाग से चिठ्ठी मिडिया के संज्ञान के बाद मांगी गई हैं जिसमे तीन डंपिंग क्षेत्रो की मांग की गई हैं | सड़क एक भाग्य रेखा हैं जिससे बनाने का आवाज़ जनादेश भी समर्थन करता है | लेकिन कार्य नियमों के अंतर्गत होना जरुरी हैं ठेकेदारों को सीधा फायदा पहुंचाने की मंशा से प्राकृतिक सम्पति का दोहन करना नया संगत नहीं हैं | बेलगाम ठेकेदारों को सरक्षंण देना सिधासिधा विभागीय मिलीभगत की और इशारा करता है | प्रश्न यह उठता हैं कि क्या सरकार इस पुरे प्रकरण पर विभाग व ठेकेदार की कितनी की जाँच करेगा |लोगों के लिए प्रयोजनाओ के लिए करोड़ का फियदा सिर्फ ठेकदार को क्यों मिलता है यह सडक पुरे विधानसभा की भाग्य रेखा है इसका निर्माण अत्यंत आवश्यक है इस सडक की 14 मीटर का लोकनिर्माण विभाग मालिक है उसके उपरांत भी ये अनियमिताए क्यों ? अगर थोड़ी सी ओंपचारिकता पूर्ण की होती तो शायद यह सडक काफी पहले बनकरने तैयार हो जाती | चौपाल लोकनिर्माण अधीन कार्यकर रहे ठेकेदारों और उनके साथ भ्रष्टाचार में बढ़ावा दे रहे अधिकारीयों पर जाँच होना जरुरी हैं चौपाल में दशको से लंबित पड़ी सड़को को पूरा न किए जाने पर भी ठेकेदारों पर कड़ी कर्यवाही होनी चाहिए ।

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