लेखिका काव्या वर्षा !
और मैं अतीत हो जाऊँ
आपकी आँखों का तारा हो के फिर नज़रों से, ओझल हो जाऊँ तो क्या हो,
गर मैं खो जाऊँ ||
नींद में पुकारा करूँ हर ग़म में,
खुदको आपका,
सहारा करूँ फिर उठते ही,
बेहम हो जाऊँ तो क्या हो,
गर मैं चुप हो जाऊँ ||
हर पल देखा करूँ आपके ज़ख्मों को पलकों से,सेका करूँ आप ढूँढे मुझे भविष्य में और में अतीत हो जाऊँ तो क्या हो, गर मैं सो जाऊँ ||
और मैं अतीत हो जाऊँ
Date: