ऑनलाइन गेम पबजी बच्चो के भविष्य के लिए खतरा

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लेखक सोनू अवस्थी/थुरल पालमपुर

पिछले दो दशकों में टेक्नोलॉजी हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है आज मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलना बच्चों और युवाओं की पहली पसंद बन गया है आउटडोर गेम्स जो सेहत का खजाना मानी जाती थी अब उनका नया विकल्प मोबाइल फोन ने ले लिया है एक सर्वे बताता है कि ऑनलाइन गेम पबजी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा ऑनलाइन खेले जाने वाली गेम है
पबजी गेम: पब्जी का पूरा नाम प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड है अर्थात अजनबी खिलाड़ी की रणभूमि इस ऑनलाइन गेम में बहुत से लोग एक टापू में छलांग लगाते हैं हथियार खोजते हैं और आपस में लड़ते हैं यह एक तरह का बैटल गेम होता है
पूरे भारत में ऑनलाइन गेम पब्जी ने अपना कहर बरपाया है तथा धीरे-धीरे यह युवाओं और बच्चों को जकड़ता जा रहा है
ऑनलाइन गेम्स पबजी से हिमाचल भी अछूता नहीं रहा है ऑनलाइन पब्जी के मामले हिमाचल में भी देखने को मिले, ऑनलाइन गेम के चक्कर में बच्चों द्वारा अपने अभिभावकों की लाखों की कमाई जो भविष्य के संदर्भ में रखी गई थी बैंक अकाउंट से उड़ा दी गई,सोलन में पबजी गेम में 1.40 लाख रुपए लुटाने का मामला सामने आया है। तथा धर्मपुर में बच्चे ने गेम खेलने के दौरान गैजेट्स और दूसरी सुविधाएं अनलॉक करने के लिए पिता की कमाई में से 1.12 लाख रुपए की रकम खर्च कर दी।ऑनलाइन गेम पबजी बच्चों की मानसिकता प्रभावित कर रही है जिस उम्र में एक बच्चे का मानसिक, बौधिक,शारीरिक तथा अध्यात्मिक विकास होता है उस उम्र में बच्चे पबजी को खेल खेल कर तनाव का शिकार हो रहे हैं अपनी पढ़ाई के लिए भी समय नहीं निकाल पा रहे हैं स्कूल बंद होने तथा करोना काल की स्थिति में घंटों मोबाइल में समय बिताने पर बच्चों में चिड़चिड़ापन आंखों में जलन आदि की समस्या भी पाई गई , युवा वर्ग भी ऑनलाइन गेम्स की लत में पड़ गया है दिन में कई घंटे लगातार ऑनलाइन गेम के लिए बिताए जा रहे है जिससे बच्चे तथा युवा अपने कीमती समय को खत्म कर ही रहे हैं साथ साथ में में अपनी सुध बुध भी खो चुके हैं अपने माता पिता से भी ठीक व्यवहार नहीं कर रहे परिणाम यह है कि आज का युवा अंदर से खोखला होता जा रहा है हमें हर एक चीज की एक सीमा तय करनी चाहिए। बच्चों का दिमाग ऐसा होता है जिसमें एक्सलेरेटेर तो है, लेकिन ब्रेक नहीं है। बच्चों के लिए पैरेंट्स, सोसाइटी और उनके दोस्तों को ही उनका ब्रेक बनना पड़ेगा। इसके बाद ही बच्चों की गाड़ी सही दिशा पर जा सकती है।
इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अभिभावक अपने बच्चों को रोकते-टोकते रहें। बच्चों को जैसा चाहे चलते रहने देने की छूट देनी चाहिए। हां, बस अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को समय-समय पर सही दिशा दिखाते रहें। बच्चों को मार्गदर्शन बहुत जरूरी है। इंटरनेट में वे कितना समय गुजार रहे हैं, क्या देख रहे हैं, पर अभिभावक नजर बनाए रखें यह बिल्कुल सही नहीं होगा कि आप बच्चों को इंटरनेट से दूर कर दो। क्योंकि आजकल हमारी शिक्षा संपूर्ण रुप से ऑनलाइन इंटरनेट पर ही निर्भर है आज के बच्चे आने वाला भविष्य है
इनके बचाव के लिए हमें और समाज को आगे आना होगा
तभी ऑनलाइन गेम्स से होने वाले नुकसान से अपने बच्चों को बचाया जा सकता है

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