पौंटा साहिब ,(आचार्य राही) हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंकों में “असिस्टेंट मैनेजर” पदों को भरे जाने की प्रक्रिया के अंतर्गत परीक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम इस प्रकार दर्शाया गया है
इंग्लिश 30 अंक, क्यू ए 25 अंक, रिजनिंग 25 अंक, डीआई 20 अंक, जीके 30 अंक, बैंकिंग/इकोनामिक 20
अंक
आश्चर्य यह कि हिंदी के लिए कोई स्थान ही नहीं।
कहने को तो हिमाचल में संस्कृत भाषा को भी द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया है इस दृष्टि से उसे भी कुछ अधिमान दिया जाना चाहिए था परंतु यहां तो राज्य के लिए राज्य के राज्य सहकारी बैंक के लिए निर्धारित परीक्षा में राज्य की प्रमुख भाषा हिंदी को भी कोई स्थान नहीं दिया गया है
कहने की आवश्यकता नहीं कि हिमाचल में अधिकतर बच्चे सरकारी स्कूलों में हिंदी माध्यम से पढ़े होते हैं और स्वाभाविक रूप से वे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले बच्चों की अपेक्षा अंग्रेजी में कमज़ोर होते हैं इस स्थिति में अंग्रेजी मीडियम से पड़ने वाले प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों को सीधा लाभ नजर आता है जहां सरकारी स्कूलों के बच्चे स्वयं को ठगा सा महसूस करते हैं
जब हम एक ओर हिंदी को बढ़ावा देने की बात करते हैं तो दूसरी ओर बैंकों में ही अधिकारी के समक्ष पट्टिका पर लिखा होता है “आप मुझसे हिंदी में बात करेंगे तो प्रसन्नता होगी” आदि, तो क्या इस परीक्षा में भी अंग्रेजी की तरह हिंदी को भी बराबर स्थान नहीं दिया जाना चाहिए ?
अभी भी पर्याप्त समय है इस व्यवस्था को सुधारने का हिमाचल सरकार को इस विषय पर प्राथमिकता से विचार करके हिंदी भाषा एवं हिंदी माध्यम से पढ़े प्रतिभागियों के साथ न्याय करना चाहिए ।
मैंने यह पोस्ट फेसबुक पर डाल कर प्रबुद्ध जनों की प्रतिक्रिया जाननी चाही थी तो किसी ने भी इसका खंडन ना करके न केवल अपनी सहमति जताई बल्कि हिंदी और संस्कृत की हो रही उपेक्षा पर चिंता भी जताई ।
किसी ने इसे हिंदी की अस्मिता पर कुठाराघात कहा तो किसी ने कथनी -करनी में अंतर माना ।
यह भी माना गया कि जब एलाइड और हिमाचल प्रदेश सेवा परीक्षा में भी हिंदी विषय है तो राज्य बैंक होकर भी यहां राजभाषा हिंदी को अभिमान क्यों नहीं ।
हिमाचल तो वैसे भी हिंदी भाषी राज्य हैं तो यहां की बैंकिंग परीक्षा में हिंदी विषय ना रखा जाना बहुत ही गलत भी है
और चिंतनीय भी।
सभी प्रबुद्ध जनों ने उम्मीद जाहिर की है कि अभी भी समय है और समय रहते इस दिशा में उचित कदम उठाते हुए हिंदी को अंग्रेजी के बराबर अंक निर्धारित कर इस परीक्षा में स्थान देकर हिंदी भाषा हिंदी भाषी जनों को न्याय प्रदान करते हुए परीक्षा को संतुलित किया जाएगा ।
परीक्षा पाठ्यक्रम में हिंदी के लिए कोई स्थान ही नहीं -आचार्य राही
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