नई दिल्ली : आठ दशकों से लोकप्रिय बीबीसी रेडियो प्रसारण की हिंदी सेवा 31 जनवरी को आखिरी बार प्रसारित हुआ । 1940 में 11 मई को शुरू हुई हिंदी सेवा को बीते लगभग एक दशक से बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, जो अब पूरी होने जा रही है। ‘नमस्कार भारत’ का आखिरी प्रसारण 27 दिसंबर को हुआ और अब उसके एक मात्र बचे कार्यक्रम ‘दिन भर’ का आखिरी प्रसारण कल 31 जनवरी की शाम 7:30 बजे हुआ।
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (BBC) ने कहा है कि रेडियो श्रोताओं की लगातार गिरती संख्या को देखते बीबीसी ने हिंदी में शॉर्टवेब रेडियो प्रसारण बंद करने का फैसला किया है। हालांकि डिजिटल सेवा के जरिए हिंदी में प्रसारण जारी रहेगा।
बीबीसी रेडियो बजने पर खाना खाने का भी नहीं रहता था होश’
द्वितीय विश्व युद्ध के समय शुरू हुआ बीबीसी के रेडियो प्रसारण का शानदार इतिहास रहा है। इसे प्रमाणिक खबरों का स्रोत माना जाता रहा है। इसके कार्यक्रम लोगों के बीच खासे लोकप्रिय भी रहे हैं। प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री कृष्ण कुमार कहते हैं यह कहना मुश्किल है कि बीबीसी मेरी खोज थी या पिताजी को सुनते देखकर मिली प्रेरणा। स्मृति-सागर में गोता लगाया तो बीबीसी की कई आवाजों के साथ पिताजी को बैठे पाया। कई बार इतने ध्यानमग्न कि सामने रखा खाना ठंडा हो गया।
बीबीसी रेडियो की विश्व सेवा, हिंदी सेवा और उर्दू सेवा से लगभग पंद्रह साल तक जुड़े रहे पत्रकार कुर्बान अली बताते हैं, एक जमाना था जब देश-दुनिया में बीबीसी को प्रमाणिक खबरों के लिए जाना जाता था। एक तरह से इस पर उसका एकाधिकार था। आपातकाल में वह लोकप्रियता के शिखर पर रहा और प्रामाणिक खबरों का एकमात्र स्रोत रहा। भारत और खाड़ी के देशों में इसके करोड़ों श्रोता रहे हैं।
*ब्रिटेन का पक्ष रखने के लिए शुरू हुई सेवा*
बीबीसी हिदुस्तानी सेवा का जन्म इस उद्देश्य से हुआ था कि विश्व युद्ध में ब्रिटेन के पक्ष का प्रचार किया जाए। उस युद्ध में ब्रिटिश फौजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले असंख्य भारतीय सैनिक थे। उनकी हौसला अफजाई जरूरी थी।
11 मई 1940 को बीबीसी की हिदुस्तानी सेवा ने दस मिनट के समाचार बुलेटिन के साथ अपना पहला प्रसारण शुरू किया। जून 1941 में जाकर हिदुस्तानी सेवा को आधा घंटा मिला। इसके पहले संचालक बने जुल्फिकार अली बुखारी। बुखारी 1945 तक इसके संचालक रहे। 1947 में विभाजन के बाद, यही बुखारी पाकिस्तान रेडियो के पहले महानिदेशक बने।
संचालक बुखारी की कोशिशें
बुखारी ने 22 मई 1941 को बीबीसी के एम्पायर सर्विस निदेशक आरए रैन्डॉल को खत लिखा-अगर बीबीसी को लगता है कि इस युद्ध में भारतीय जनमत की महत्ता है तो उसे मौजूदा हिदुस्तानी प्रसारण के साथ भारतीय समयानुसार सुबह 8 बजे हिदुस्तानी समाचार शुरू करना चाहिए। आठ बजे का समय तो नहीं मिला लेकिन 1943 तक आते-आते हिदुस्तानी सेवा की एक से ज्यादा सभाएं हो गई। बुखारी जब तक रहे, प्रसारण समय बढ़ाने की कोशिशें करते रहे।
31 जनवरी से सदा के लिए बंद हुई BBC हिंदी रेडियो की आवाज
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