केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मददगारों के लिए किया है प्रावधान इसे आधुनिक मानव की संवेदनहीनता कहें या जिंदगी की भाग-दौड़, या फिर किसी कानूनी झंझट से बचने की कवायद? आखिर, हमारे देश में प्रतिदिन बड़ी संख्या में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के समय अक्सर अधिकांश लोग किसी घायल व्यक्ति को यूं ही तड़पता छोड़ कर क्यों तुरंत आगे निकल जाते हैं? वे सड़क पर घायलों की मदद के लिए आगे नहीं आते? सड़क पर जिंदगी के लिए तड़पते घायलों के प्रति इस तरह की संवेदनहीनता के कई मामले रोजाना देखने को मिलते हैं। दरअसल, अधिकांश लोग पुलिस या अदालत के झंझटों से बचने के लिए इस तरह का व्यवहार करते हैं।
इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को देखते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अब सड़क दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने वाले लोगों के लिए विशेष प्रावधान किया है। कुल्लू के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी डा. अमित गुलेरिया ने बताया कि मंत्रालय की अधिसूचना में ऐसे मददगार लोगों का विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि किसी भी घायल व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाने के बाद उन्हें पुलिस की जांच प्रक्रिया के दौरान अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े। इस अधिसूचना में कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जोकि सड़क दुर्घटनाओं के समय कई लोगों की जिंदगियां बचाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
इन दिशा-निर्देशों की जानकारी देते हुए डा. अमित गुलेरिया ने बताया कि सड़क दुर्घटना के समय अगर कोई प्रत्यक्षदर्शी किसी घायल व्यक्ति को निकटतम अस्पताल में पहुंचाता है तो उससे कोई अनावश्यक प्रश्न नहीं पूछा जाएगा और केवल अपना पता बताने के बाद उसे जाने की अनुमति होगी। वह किसी सिविल तथा आपराधिक दायित्व के लिए भी उत्तरदायी नहीं होगा। अगर कोई प्रत्यक्षदर्शी सड़क पर घायल पड़े व्यक्ति के बारे में पुलिस या आपातकालीन सेवाओं के लिए फोन काॅल करता है तो उसे फोन पर या व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना नाम और व्यक्तिगत विवरण देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। अपने नाम, संपर्क और व्यक्तिगत विवरण की जानकारी देना मददगार प्रत्यक्षदर्शी की इच्छा पर निर्भर करेगा तथा अस्पतालों से जारी किए जाने वाले मैडिको लीगल केस फार्म में भी इसका प्रावधान किया गया है। कोई अधिकारी इसके लिए अनावश्यक दबाव डालता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। किन्हीं कारणों से यदि गहन जांच की आवश्यकता पड़ती है तो घायल व्यक्ति की मदद करने वाले प्रत्यक्षदर्शी से केवल एक ही बार पूछताछ की जाएगी। उसकी सुविधा के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग की मदद भी ली जा सकती है।
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय की अधिसूचना में सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए भी कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। किसी घायल को अस्पताल तक पहुंचाने वाला व्यक्ति अगर उस घायल का रिश्तेदार नहीं है तो अस्पताल प्रबंधन उससे किसी तरह की शुल्क की मांग नहीं करेगा और उसे अस्पताल में रुकने के लिए भी नहीं कहा जाएगा।
डा. अमित गुलेरिया ने बताया कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की इस अधिसूचना का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों की तुरंत मदद को प्रोत्साहित करना है। सड़क दुर्घटनाओं के घायलों की मदद के लिए आगे आने वाले लोगों की सुविधा का इसमें विशेष ध्यान रखा गया है। इसलिए हमें अपने आस-पास किसी भी सड़क दुर्घटना की स्थिति में तुरंत पीड़ितों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
सड़क दुर्घटना पीड़ित की मदद कीजिए, नहीं होगी पूछताछ
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