वित्तीय अनियमितताओं में फंसा चंबा मेडिकल कालेज

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शिमला – एक करोड़ 90 लाख रुपए की वित्तीय अनियमितताओं में फंसे चंबा मेडिकल कालेज के पूर्व प्रिंसीपल डा. अनिल ओहरी के खिलाफ स्टेट विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने जांच की अनुमति जारी कर दी है। इस आधार पर विभागीय जांच आयुक्त को डा. अनिल ओहरी का केस भेजा गया है। इससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने पूर्व प्रिंसीपल के खिलाफ विभागीय जांच आयुक्त को मामला जांच के लिए भेजा था। इस पर विभागीय जांच आयुक्त ने केस को बैक रैफर करते हुए इसमें स्टेट विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन के माध्यम से केस भेजने की सिफारिश की थी। जाहिर है कि विभागीय जांच आयुक्त के पास सभी केस जांच के लिए विजिलेंस के माध्यम से आते हैं। लिहाजा विभागीय जांच आयुक्त में पहुंचे इस केस के बाद पूर्व प्रिंसीपल की मुसीबतें बढ़ गई हैं। बताते चलें कि मेडिकल कालेज के तत्कालीन प्रिंसीपल डा. अनिल ओहरी को चार्जशीट जारी की गई है। विभागीय जांच में डा. अनिल ओहरी के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आठ अलग-अलग आरोप तय किए गए हैं। हालांकि इससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने चंबा मेडिकल कालेज जांच मामले में अपने स्तर पर इन्क्वायरी की है। इसके चलते विभागीय जांच में स्पष्ट हुआ है कि पहली जुलाई, 2016 से तीन जून, 2018 के बीच मैनपावर की आउटसोर्सिंग के लिए जमकर धांधली हुई है। नियमों को दरकिनार करते हुए आउटसोर्सिंग भर्ती में राज्य सरकार को 43 लाख 65 हजार 735 रुपए की क्षति पहुंचाई गई है। इसी तर्ज पर मेडिकल कालेज में मरीजों की देखभाल और तीमारदार के नाम पर वित्तीय अनियमितताएं की गई हैं। बिना कोडल फार्मेलिटिज के अस्पताल में मशीनरी व उपकरणों की खरीद की गई है। इस कारण राज्य सरकार को 25 लाख 97 हजार 120 रुपए का नुकसान पहुंचा है। मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए सीसीटीवी कैमरों की खरीद में अनियमितताएं बरती गई हैं। नियमों को दरकिनार कर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से सरकार को 47 लाख 43 हजार 724 रुपए की चपत लगी है। इसी प्रकार मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए किताबों की खरीद में धांधली बरती गई है। इससे सरकार को नौ लाख 67 हजार 690 रुपए की चपत लगी है। विभागीय जांच में खुलासा हुआ है कि वर्ष 2017-18 के एमबीबीएस-बीडीएस  कोर्स के लिए मेडिकल छात्रों से अधिक फीस वसूल की गई है। प्रोस्पेक्ट्स में दर्शाई गई फीस से अधिक राशि वसूलने पर प्रिंसीपल को आरोपी बनाया गया है। विभागीय जांच के अनुसार मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए किराए पर लिए भवनों का किराया निर्धारित मापदंडों से कई गुना अधिक दिया गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज किया गया है। इस कारण मेडिकल कालेज के लिए हायर किए गए निजी भवनों पर प्रतिमाह छह लाख 97 हजार 492 रुपए लुटाए गए हैं। इससे राज्य सरकार को अप्रैल 2017 से लेकर जुलाई 2018 के बीच कुल 45 लाख 68 हजार 716 रुपए की चपत लगी है। अब मामला विभागीय जांच आयुक्त को भेजने से पूर्व प्रिंसीपल की मुसीबतें और ज्यादा बढ़ गई हैं।

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