आज का पंचांग

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 शास्त्री संदीप शर्मा

पंचांग या पंचागम् हिन्दू कैलेंडर है जो भारतीय वैदिक ज्योतिष में दर्शाया गया है। पंचांग मुख्य रूप से 5 अवयवों का गठन होता है, अर्थात् तिथिवारनक्षत्रयोग एवं करण। पंचांग मुख्य रूप से सूर्य और चन्द्रमा की गति को दर्शाता है। हिन्दू धर्म में हिन्दी पंचांग के परामर्श के बिना शुभ कार्य जैसे शादी, नागरिक सम्बन्ध, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, परीक्षा, साक्षात्कार, नया व्यवसाय या अन्य किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते ।

जैसा कि प्राचीन समय से बताया गया है कि हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसी तरह जब कोई व्यक्ति पर्यावरण के अनुरूप कार्य करता है तो पर्यावरण प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान तरीके से कार्य करता है। एक शुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले महत्वपूर्ण तिथि का चयन करने में हिन्दू पंचांग मुख्य भूमिका निभाता है।

पंचांग एक निश्चित स्थान और समय के लिये सूर्य, चन्द्रमा और अन्य ग्रहों की स्थिति को दर्शाता है। विश्वविजय पंचांग 100 वर्षों की जानकारी रखता है जो सभी के लिए बहुत दुलर्भ है।

संक्षेप में पंचांग एक शुभ दिन, तारीख और समय पे शुभ कार्य आरंभ करने और किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव को नष्ट करने का विचार प्रदान करता है। आज के दिन का पंचांग जानने के लिए आप हिन्दू कैलेंडर या गुजराती कैलेंडर देख सकते हैं।

राष्ट्रीय मिति भाद्रपद 02 शक संवत् 1940 श्रावण शुक्ल त्रयोदशी शुक्रवार विक्रम संवत् 2075। सौर भाद्रपद मास प्रविष्टे 8, जिल्हिजा 12 हिजरी 1439 (मुस्लिम) तदनुसार अंग्रेजी तारीख 24 अगस्त सन् 2018 ई०। दक्षिणायण, उत्तर गोल, शरद ऋतु।
राहुकाल पूर्वाह्न 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक। त्रयोदशी तिथि मध्याह्न 12 बजकर 51 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का आरंभ, उत्तराषाढ़ नक्षत्र प्रातः 6 बजकर 48 मिनट तक उपरांत श्रवण नक्षत्र का आरंभ, सौभाग्य योग सायं 7 बजकर 11 मिनट तक उपरांत शोभन योग का आरंभ।

तैतिल करण मध्याह्न 12 बजकर 51 मिनट तक उपरांत वणिज करण का आरंभ। चंद्रमा दिन रात मकर राशि पर संचार करेगा। आज ही शुक्र चित्रा नक्षत्र में अगले दिन सुबह 5 बजकर 47 मिनट।

दिनांक -24 अगस्त 2018                      दिन – शुक्रवार                  विक्रम संवत् – 2075                   शक संवत् – 1940

अयन – दक्षिणयन                                  ऋतु – शरद                           मास – श्रावण                                  पक्ष – शुक्ल

तिथि- प्रातः 12-50 तक त्रयोदशी तदुपरांत तचतुर्दशी                        नक्षत्र- उत्तराषाढ़ा                          योग – सौभाग्य

दिशाशूल – पश्चिम दक्षिण पश्चिम                   सूर्योदय – 05:58                 सूर्यास्त – 18:47                    राहुकाल – 10:30 – 12-00

अभिजीतमुहूर्त – 11:57 -12:48

 सूर्योदय एवं सूर्यास्त – हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिन की पूरी लम्बाई को एक सूर्योदय से लेकर दूसरे सूर्यास्त तक जाना जाता है। इसलिए ज्योतिष में सूर्योदय और सूर्यास्त को महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी तरह के मुख्य निर्णय सूर्योदय और चन्द्रमा की स्थिति को देखकर ही लिए जाते हैं।

चन्द्रोदय एवं चन्द्रास्त – हिन्दू कैलेंडर में किसी भी शुभ कार्य को करने के लिऐ दिन एवं समय को जानने के लिए चन्द्रोदय एवं चन्द्रास्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शक सम्वत् – शक सम्वत् भारतीय आधिकारिक नागरिक कैलेंडर है जो कि 78AD में स्थापित किया गया था ।

अमान्ता महीना – हिन्दू कैलेंडर जो कि चन्द्र महीने के बिना चन्द्रमा वाले दिन समाप्त होता है उसे अमान्ता महीना कहा जाता है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तामिलनाडू, केरला, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा राज्य इस कैलेंडर का अनुसरण करते हैं।

पूर्णिमान्ता महीना – हिन्दू कैलेंडर जो कि चन्द्र महीने में पूरा चन्द्रमा दिखाई देने वाले दिन समाप्त होता है पूर्णिमान्ता महीना कहलाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश इस कैलेंडर का अनुसरण करते हैं।

सूर्य राशि एवं चन्द्र राशि – सूर्य संकेत किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है जबकि चन्द्र संकेत कुंडली के दूसरे महत्वपूर्ण पहलूओं को दर्शाता है।

पक्ष – तिथि को दो भागों में विभाजित किया जाता है तथा इन भागों को पक्ष कहा जाता है। पक्षों को कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के नाम से जाना जाता है।

अच्छा समय/शुभ समय

अभिजीत नक्षत्र – अभिजीत मुहूर्त में भगवान ब्रह्मा का समावेश होता है तथा कोई भी शुभ कार्य करने के लिए इसे बहुत ही शुभ समय माना जाता है।

अमृत कालम – अमृत कालम को कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

अशुभ समय

गुलिकाई कालम – गुलिका शनि के पुत्र थे। इसे गुलिकाई काल कहा जाता है। इस समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता ।

यामगंदा – यामगंदा मुहूर्त के समय किसी भी तरह के शुभ कार्य को आरंभ करना अशुभ माना जाता है तथा उसमे किसी तरह की वृद्वि नहीं होती।

दूरमुहूर्त – किसी भी शुभ कार्य को करने के लिऐ दूरमुहूर्त काल के समय को अशुभ माना जाता है।

वर्जयाम – वर्जयाम काल सूर्योदय से प्रारम्भ होकर अगले दिन सूर्योदय तक होता है। इसे शुभ कार्य करने के लिए उचित नहीं माना जाता।

राहु कालम – राहु काल के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता । राहु काल को किसी भी शुभ कार्य के लिए पूरी तरह से अनदेखा किया जाता है।

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