आवाज़ जनादेश शिमला — प्रदेश के हर स्कूल में चल रही गतिविधियों पर अब सीधे सरकार की नजर रहेगी। किस स्कूल में क्या हो रहा है और कहां पर किस तरह की व्यवस्था है, इसका आसानी से पता चल जाएगा। खास तौर पर शिक्षा विभाग की इंस्पेक्शन टीमों पर नजर रहेगी, जिनका यह पता नहीं होता कि उन्होंने वास्तविकता में किसी स्कूल की इंस्पेक्शन की भी है या फिर नहीं। प्रदेश के शिक्षा महकमे ने इन सब पर नजर रखने के लिए शिक्षा साथी ऐप तैयार करवाया है, जिसका ट्रायल सोमवार को किया गया। सचिवालय में बैठकर शिक्षा सचिव डा.अरुण शर्मा ने दो-तीन स्कूलों की व्यवस्थाओं को इस ऐप के माध्यम से जाना। ऐप को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जल्द ही लांच करेंगे, जिनसे समय मांगा गया है। इसके बाद शिक्षा मंत्री समेत आला अधिकारी स्कूलों की निगरानी कर सकेंगे। यही नहीं, इंस्पेक्शन टीमों को स्कूल में जाकर वहां की गतिविधियों को इस ऐप में अपलोड करना होगा, जिससे यह भी पता चल जाएगा कि वे लोग वास्तविकता में वहां गए थे। बताया जाता है कि इंस्पेक्शन टीमों पर नजर रखने के लिए विशेषकर यह व्यवस्था की जा रही है। अभी ये शिकायतें सरकार को मिल रही हैं कि इंस्पेक्शन टीमें मौके पर नहीं जातीं और खुद ब खुद रिपोर्ट तैयार कर शिक्षा विभाग को सौंप देती हैं। इस कारण से स्कूलों में जो जरूरतें होती हैं, वे भी पूरी नहीं हो पातीं, क्योंकि वास्तविकता में कुछ पता नहीं चलता है। ऐसे कई स्कूल आधारभूत ढांचा विकसित होने से भी वंचित रह जाते हैं। भविष्य में ऐसा ना हो इसके लिए शिक्षा साथी ऐप तैयार किया गया है, जो कि स्कूल की मौके की स्थिति सरकार के सामने लाएगा।
अक्तूबर में 3000 प्री-प्राइमरी स्कूल
प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों को ही स्कूलों में बदलने की तैयारी, अलग से टीचर नहीं होंगे तैनात
शिमला— सरकारी स्कूलों में सरकार ने प्री-नर्सरी का कल्चर शुरू करने की तैयारी कर ली है। अक्तूबर महीने से प्रदेश में तीन हजार प्री-प्राइमरी स्कूल खुलेंगे। सरकार आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में तबदील करने जा रही है। इसी कड़ी में मंगलवार से शिक्षा निदेशालय में जिला समन्वयकों और बीआरसीसी का प्रशिक्षण शुरू होने जा रहा है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद यह 48 मास्टर ट्रेनर जिलों में जाकर अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। शिक्षा सचिव डा.अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने नर्सरी और केजी कक्षाएं शुरू करने को मंजूरी दे दी है। अक्तूबर महीने से सरकार इन कक्षाओं को शुरू करने के प्रयास में है। नर्सरी और केजी कक्षा को पढ़ाने के लिए अलग से शिक्षकों की भर्ती नहीं होगी। प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने वाले शिक्षक ही इन नौनिहालों की देखरेख करेंगे। जेबीटी शिक्षकों को प्री-प्राइमरी कक्षाएं पढ़ाने के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाएगा। मंगलवार से शुरू होने जा रहे प्रशिक्षण में जिला समन्वयकों और बीआरसीसी को स्कूल चिन्हित करने के लिए सर्वे करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जून महीने में हुई बैठक में केंद्र सरकार ने हिमाचल को तीन हजार प्राइमरी स्कूल खोलने की मंजूरी दी थी। इसके लिए अलग से बजट भी दिया गया है। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होना चिंता की बात है, लिहाजा फिलहाल योजना यही है कि सरकारी स्कूलों में प्री-नर्सरी शुरू की जाएं, ताकि बच्चा शुरुआत से ही वहां पर पढ़े।
अतिरिक्त निदेशक चार्जशीट
जीरो रिजल्ट देने वाले स्कूलों के बारे में गलत जानकारी देने पर सरकार की कार्रवाई
शिमला— बोर्ड परीक्षाओं में शून्य रिजल्ट देने वाले स्कूलों के मामले में एक नाटकीय गाज उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी पर गिरी है। राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक को चार्जशीट करने के आदेश पारित किए हैं। इसके लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। आरोप है कि एडिशनल डायरेक्टर सरकार को रिपोर्टिंग के माध्यम से बताते रहे कि जीरो रिजल्ट देने वाले स्कूल शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। धरातल पर सच्चाई इसके विपरीत उजागर हुई है। ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जीरो रिजल्ट देने वाले स्कूल के किसी भी अध्यापक को एक नोटिस तक जारी नहीं हुआ है। अतिरिक्त निदेशक के कार्यालय से सरकार को गुमराह करने वाली रिपोर्टिंग हुई है। बताते चलें कि हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की मैट्रिक तथा जमा दो की वार्षिक परीक्षाओं में शून्य रिजल्ट देने वाले अध्यापकों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई का ऐलान किया है। इस कड़ी में निदेशालय को नियमों के तहत कार्रवाई के आदेश जारी हुए। शिक्षा विभाग के सचिव और उच्च शिक्षा निदेशालय के बीच इस मसले पर लंबे समय से पत्राचार जारी है। सूत्रों का कहना है कि उच्च शिक्षा निदेशालय सरकार के जवाब-तलब पर लगातार रिपोर्टिंग कर रहा था। इसमें सरकार को गुमराह करने वाली सूचना प्रेषित की जा रही थी। रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि जीरो रिजल्ट देने वाले स्कूलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके बाद मार्च में संपन्न हुई बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट पर अब तक कार्रवाई को अमलीजामा न पहनाए जाने पर सरकार ने उच्च शिक्षा निदेशालय से अब तक हुई कार्रवाई की तथ्यों सहित रिपोर्ट तलब की। इसमें खुलासा हुआ कि शिक्षा उच्च निदेशालय ने हकीकत में आरोपी अध्यापकों को कोई नोटिस ही नहीं भेजा है। इस गलत रिपोर्टिंग पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक को चार्जशीट करने का नोटिस भेजा है। इस नोटिस का जवाब संतोषजनक न पाए जाने पर सरकार अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के मूड में है।