(अर्पित अवस्थी )
राजा वीरभद्र सिंह ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है | हिमाचल में कांग्रेस की कल्पना राजा वीरभद्र के बिना हो ही नहीं सकती | 6 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री, सांसद, पूर्व केंद्रीय नेता रह चुके है वह ऐसे नेता जिसको इंदिरा गाँधी से ले के राहुल गाँधी तक काम करने का अनुभव है ,हिमाचल में काफी समय से वीरभद्र की विसात के लिए माइनस बिछाने की कोशिश चल रही है लेकिन जो यथा स्तिथि है उसमे कांग्रेस में कोई दूसरा विकल्प दिख नहीं रहा | माइनस वीरभद्र माइनस कांग्रेस हो कर रह जायेगा लेकिन आज नहीं तो कल कांग्रेस को वीरभद्र सिंह का विकल्प देखना ही है , उम्र के इस दौर में भी वीरभद्र सिंह के जोश और काम करने के तरीके के विरोधी भी कायल हैं| भले ही कांग्रेस विधानसभा चुनाव हारी हो लेकिन कांग्रेस की तरफ से सिर्फ और सिर्फ प्रचार की कमान वीरभद्र के हाथ ही थी बाकि पूरा मंत्रीमंडल सहित विधायक सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्रों में कैद हो कर रह गए थे |हिमाचल में कांग्रेस के लिए विकल्प का रास्ता भी वीरभद्र सिंह से हो कर ही गुजरेगा उनके आशीर्वाद के बिना न ही विक्लप की राह आसान नही होगी|