(अर्पित अवस्थी की कलम से )
हिमाचल अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्व विख्यात है जिस कारण पर्यटन मानचित्र पर हिमाचल की एक विशेष पहचान है परन्तु पिछले कुछ सालों से जिस तरह से पर्यटन गतिविधियां बढ़ रही हैं कहीं न कहीं वह चिंता का विषय हैं.
शिमला जिसे पहाड़ों की रानी कहा जाता है दूर से देखो तो एक कंक्रीट का जंगल लगता है . अवैध होटल निर्माण, पानी की समस्या , पार्किंग की समस्या यह सब मुद्दे पर्यटकों का मुँह चिड़ाए स्वागत करते हैं.
मनाली – मनाली की पहचान हनीमून डेस्टिनेशन के रूप में ज्यादा है. कभी मनाली जायो तो मॉल रोड में रोड इतनी भीड़ होती है जैसे कोई कुम्भ का मेला लगा हो . घंटो ट्रैफिक जाम लगना मनाली में आम बात है ओर रोहतांग तो बदनाम हो चूका है ट्रैफिक जाम के लिए . कितने पर्यटक तो रोहतांग पहुँच ही नहीं पाते आधे रस्ते से जाम से परेशान हो के सेल्फी खींच के वापिस आ जाते हैं .
धर्मशाला\ मैक्लोडगंज – छोटी सी पहाड़ी पे बसा दलाई लामा का निवास , पर्यटकों के बोझ से दबता जा रहा है . अवैध निर्माण, ट्रैफिक जाम भी यहाँ की पहचान बन चुका है , त्रियुंड में कैंपिंग ने वहां की प्रकृतिक दशा ओर बिगाड़ी हुयी है.
चम्बा/ डल्हौज़ी/खज्जियार – यह एरिया भी पर्यटन से अछूता नहीं है . अंधाधुंध निर्माण, मुलभुत सुविधाओं की कमी ने यहाँ भी हालत बिगड़े हुए हैं .
पर्यटन से रोजगार के अवसर मिलते हैं परन्तु क्या सरकार या प्रसाशन को रोजगार के अवसर नियमानुसार उपलब्ध नहीं करवाने चाहिए ? अवैध निर्माण सबसे पहली बीमारी है हर पर्यटन स्थल में जिसका जिक्र NGT ने भी किया है. अवैध निर्माण किस के इशारे पे हुए ? रातों रात होटल तैयार नहीं होते ऐसा तो है नहीं की किसी को भनक न लगी हो. दूसरा ट्रैफिक , प्रसाशन ओर सरकार को इस चुनौती का सामना करने के लिए शीघ्र ही उपाय देखने होंगे क्यूंकि यह समस्या एक विकराल रूप धारण कर चुकी है . किसी पर्यटन स्थल में उतनी ही गाड़ियों के जाने की अनुमति हो जिनके लिए पार्किंग का बंदोबस्त हो . आप किसी भी जगह पर क्षमता से अधिक भार डालेंगे तो उसका विनाश एक न एक दिन संभव है. विनाश से विकास सिर्फ सरकार की ही भागीदारी से नहीं अपितु आम मानस के सहयोग से भी होगा . अगर आज NGT रोहतांग, त्रियुंड, मनाली तथा बाकि सभी पर्यटक स्थलों को ले के गंभीर है तो इसमें सरकार ओर जनता दोनों को अपना योगदान दे के हिमाचल के पार्कट्रिक सौंदर्य को बचाना होगा जिस से की पर्यटन भी बचा रहे ओर रोजगार के अवसर भी बने रहें.
पर्यटन – विकास या विनाश
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