स्थायी नीति को आठ साल से तरसे एनआरएसटी अध्यापक

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गैर आवासीय विशेष अध्यापक संघ शिमला में प्रदर्शन को तैयार

आवाज़ जनादेश मंडी— प्रदेश के करीब 40 गैर अवासीय विशेष अध्यापक (एनआरएसटी) के लिए आठ वर्ष से प्रदेश सरकार द्वारा ठोस नीति नहीं बन पाई है। इसके चलते उक्त वर्ग के शिक्षकों में भारी रोष हैं। अब गैर अवासीय विशेष अध्यापक संघ ने प्रदेश सरकार से एनआरएसटी अध्यापकों के लिए पालिसी बनाने की मांग की है। संघ के पदाधिकारियों ने सरकार को पालिसी बनाने के लिए 27 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है। इस अवधि में मांगें पूरी न होने पर 28 जुलाई को शिमला में सचिवालय के बाहर धरना-प्रदर्शन की चेतावनी भी दी है। बता दें कि सर्वशिक्षा अभियान के तहत 2009 में प्रदेश सरकार ने डाइट के माध्यम से गैर अवासीय विशेष अध्यापकों की नियुक्ति प्रदेश के अति दुर्गम क्षेत्रों में हुई थी। यह नियुक्ति स्कूल छोड़ चुके या कभी स्कूल नहीं गए बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई थी। प्रदेश में कुल 40 एनआरएसटी टीचर्ज की नियुक्ति की गई। उक्त शिक्षक प्रदेश में करीब 500 से अधिक बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष लीलाधर, तारा चंद नेगी, कांगड़ा के जितेंद्र, चंबा के खेम सिंह सहित अन्य ने बताया कि पूर्व सरकार ने उनका शोषण किया। इस मौके पर एनआरएसटी अध्यापकों को ग्राम विद्या उपासकों की तर्ज पर अनुबंध जेबीटी का वेतन देने की मांग की। साथ ही उनहें अनुबंध टीजीटी बनाने की अपील की, लेकिन उक्त मांग को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ। वर्तमान समय में प्रदेश के मंडी जिला में आठ केंद्र, कांगड़ा में चार, कुल्लू में सात, सिरमौर में पांच, ऊना व हमीरपुर में एक-एक, चंबा में 18 केंद्र स्थापित किए गए हैं।

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