चंबा ब्यूरो / देव भूमि हिमाचल अपनी संस्कृति और सद्भावना के लिए जानी जाती है इसी के प्रतीक यंहा के मेले और त्यौहार है जिनकी अपनी ही एक अनुभूति है सदियों से जिला चम्बा अपनी प्राचीन परम्परा और मेलो केलिए जाना जाता है| किसी भी क्षेत्र विशेष में आयोजित होने वाले लोक मेले आपसी सौहार्द और मेल मिलाप के प्रतीक होते हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने यह बात शुक्रवार को चुराह घाटी के प्रसिद्ध बैरागढ़ जातर मेले के दौरान शिरकत करते हुए कही।
चुराह घाटी में पर्यटन की भी बेहतरीन संभावनाएं मौजूद
उन्होंने कहा कि चुराह घाटी की पुरातन लोक संस्कृति, धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को सहेज कर रखने की आवश्यकता है ताकि भावी पीढ़ी तक यह अमूल्य विरासत आगे जा सके। उन्होंने कहा कि चुराह घाटी में ना केवल साहसिक पर्यटन बल्कि धार्मिक और नैसर्गिक पर्यटन की भी बेहतरीन संभावनाएं मौजूद हैं। आने वाले समय में इन संभावनाओं के दोहन को लेकर भी कार्ययोजना सामने आएगी ताकि देश विदेश के पर्यटक इस खूबसूरत घाटी का रुख करें। घाटी में पर्यटन विकास से ना केवल चुराह की पहचान देश- विदेश में बनेगी बल्कि स्थानीय लोगों को भी स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।
यहां के पर्यटन को विकसित करने के लिए छोटे संपर्क मार्गों के निर्माण को लेकर कार्य किया जा रहा है। इनमें से कई संपर्क मार्ग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। लोक निर्माण विभाग को सड़क परियोजनाओं को लेकर डीपीआर तैयार करने के पहले से ही निर्देश दिए जा चुके हैं और विभाग इस दिशा में प्रयासरत है। हंसराज ने इस मौके पर स्थानीय लोगों के साथ चुराही नाटी में भी शिरकत की। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ बैठकर जातर मेले का पूरा आनंद उठाया। इस मौके पर उपमंडलाधिकारी (नागरिक) हेमचंद वर्मा और पंचायत प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।